एनएसजी पर सरकार की विफलता से देश को उठानी पड़ी है शर्मिंदगी: कांग्रेस
कांग्रेस ने एनएसजी के मुद्दे पर मिली विफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस का कहना है कि इसकी जरूरत नहीं थी इसकी वजह से सरकार को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।
नई दिल्ली (पीटीआई/एएनआई)। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता की असफल भारतीय कोशिश को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। पार्टी ने इसे देश के लिए 'शर्मिदगी' और 'बड़ी कूटनीतिक विफलता' करार देते हुए सवाल किया कि सदस्यता के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई।कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा की गई इस कोशिश को बेकार की कसरत करार दिया है। पार्टी के मुताबिक इसकी वजह से देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कूटनीति हमेशा बुद्धिमत्ता और शांतिपूर्वक की जाती है। हमने इस तरह की कूटनीति कहीं नहीं देखी, जिसमें यह बेहद स्पष्ट हो गया कि आप किससे लॉबिंग कर रहे हैं और कौन आपका पक्ष ले रहा है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए शर्मिदगी की बात है, जिसकी जरूरत ही नहीं थी।
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शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तरह की मजबूत लॉबिंग यदि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए करते तो बात समझ में आती। लेकिन एनएसजी जैसे मामले में इस तरह की जोर-आजमाइश करने की कोई जरूरत नहीं थी। इसके कारण भारत की तुलना पाकिस्तान के साथ की गई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में एनएसजी ने भारत को विशेष छूट दी थी, जिसके कारण कई वर्षो तक अलग-थलग रहने के बाद भारत को परमाणु शक्तिसंपन्न देशों के साथ हिलने-मिलने की मंजूरी मिली थी।
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उस वक्त जो समझौता हुआ, उसने अमेरिका के साथ समझौते का भारत का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के समझौते ने भारत को एनएसजी देशों के साथ व्यापार की भी मंजूरी दी। एनएसजी देश भारत को रिएक्टर बेच सकते हैं और भारत भी ऐसा कर सकता है। इसलिए एनएसजी मुद्दे पर इस तरह की जोर-आजमाइश की जरूरत ही नहीं थी। शर्मा ने कहा कि एनएसजी की सदस्यता से भारत के परमाणु व्यापार में कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं आएगा।
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वहीं दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का कहना था कि सरकार ने इस मुद्दे पर बड़ी उम्मीदें जगाईं, अब प्रधानमंत्री बताएं कि इस दौरान क्या गलत हुआ। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि पाकिस्तान के परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड और खास तौर पर पाकिस्तान पर उनका (प्रधानमंत्री का) क्या रुख है। मनमोहन सिंह सरकार में चव्हाण प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री थे और परमाणु ऊर्जा समेत विभिन्न विभाग देखते थे।
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उन्होंने 2008 की स्थिति से तुलना करते हुए कहा कि उस समय 48 सदस्यीय एनएसजी ने भारत को छूट प्रदान की थी, लेकिन अब एनएसजी में कोशिश विफल हो गई। 'यह वही एनएसजी है, वैसी ही स्थिति है, वहीं देश हैं और एनएसजी ने भारत को छूट दे दी!' 2008 में किसी ने भी भारत की एनपीटी पर स्थिति का मुद्दा नहीं उठाया था और न ही मानदंडों से संबंधित पूर्व शर्त रखी थी। उन्होंने दावा किया कि उस समय अमेरिका के समर्थन और भारत की मजबूत कूटनीति की बदौलत देश को छूट हासिल हुई थी।
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