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    डीडीए की आवास योजना: दिल्लीवासियों को ही मिलेंगे 80 फीसद फ्लैट

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    Updated: Sat, 09 Aug 2014 09:47 AM (IST)

    डीडीए की आवास योजना 2014 में दिल्ली के लोगों के 80 फीसद फ्लैट आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। उपराज्यपाल ने डीडीए के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। दि ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। डीडीए की आवास योजना 2014 में दिल्ली के लोगों के 80 फीसद फ्लैट आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। उपराज्यपाल ने डीडीए के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। दिल्ली की जनता की यह बड़ी जीत है। दिल्ली केलिए आरक्षण मिलने से राजधानी के निवासियों को अधिक फ्लैट मिल सकेंगे और उनकी आवास संबंधी समस्या कुछ हद तक दूर हो सकेगी।

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    डीडीए की यह आवास योजना 25 अगस्त को लांच हो रही है। इस योजना के तहत कुल 25600 फ्लैट बनाए जाएंगे, जिसमें से एक कमरे वाले 24 हजार फ्लैट ग्रीन बिल्डिंग को आधार मान कर तैयार किए गए हैं। ये पर्यावरण फ्रेंडली है और इनके निर्माण में ऊर्जा बचत का विशेष ध्यान दिया गया है। डीडीए की आवास योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। योजना से संबंधित जानकारी डीडीए की वेबसाइट पर भी डाल दी जाएगी। आवास योजना का ड्रॉ कंप्यूटराइज सिस्टम से किया जाएगा।

    पहली बार दिल्लीवासियों को आरक्षण

    1957 में गठित डीडीए ने अब तक 4 लाख के करीब फ्लैट बनाकर दिल्ली को उपलब्ध कराए हैं। मगर डीडीए की पालिसी के अनुसार अभी तक देश के किसी भी राज्य का नागरिक इस योजना में भाग ले सकता था। पालिसी में आरक्षण जैसी कोई बात नहीं थी। इसके चलते देशभर के लोग यहां निकलने वाली आवास योजना में भाग लेते रहे हैं और उनके फ्लैट निकलते भी रहे हैं। ऐसे में दिल्ली के ऐसे अधिकतर लोगों का इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता था, जिन्हें आवास की जरूरत है। हर बार दिल्ली के लाखों लोग इसी उम्मीद में ही रह जाते हैं कि इस बार हो सकता है कि फ्लैट निकल आए। आरक्षण नहीं होने से हर बार विफलता ही हाथ लगती रही है।

    उठाई थी आरक्षण की मांगऐसे दिल्लीवासी विभिन्न संगठनों के माध्यम से हर बार मांग करते रहे हैं कि डीडीए की आवास योजना में दिल्ली के निवासियों के लिए आरक्षण होना चाहिए। मगर उनकी बात को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया। डीडीए के उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार ने दिल्ली के लोगों की इस समस्या को समझते हुए कुछ दिन पहले प्रस्ताव को तैयार किया था कि आवास योजना में दिल्ली के निवासियों के लिए 80 फीसद आरक्षण मिले। इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए कुछ समय पहले भेजा गया था। दिल्ली में आवास की समस्या को देखते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। अब दूसरे राज्यों के लोग डीडीए की आवास योजना में भाग तो ले सकेंगे। मगर उन्हें सिर्फ बीस फीसद में से ही फ्लैट मिल सकेगा।

    मुनाफे के लिए बेच नहीं पाएंगे

    उपराज्यपाल ने डीडीए के इस प्रस्ताव को भी मान लिया है कि फ्लैटों को आवंटी पांच साल तक नहीं बेच सकेंगे। इसका मकसद आवास योजना में जरूरतमंद लोगों की भागीदारी बढ़ाना है। पहले रुपये कमाने के लिए भी लोग आवेदन कर देते थे और फ्लैट निकलने पर उसे बिल्डरों या प्रॉपर्टी डीलरों को बेच देते थे।

    रोहिणी आवासीय योजना के 744 प्लाटों का ड्रा संपन्न

    बंद कमरे में अधिकारियों की मौजूदगी में रोहिणी आवासीय योजना 1981 के शेष 744 प्लाटों का ड्रा शुक्रवार को संपन्न हो गया। हालांकि, लोगों को इस तरह से ड्रा कराए जाने पर आपत्ति रही। लेकिन डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश के बाद कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए यह रास्ता अपनाया। ड्रा में शामिल होने आए आवेदक गृह मंत्रालय से सेवानिवृत्त हुए एसके नागपाल का कहना था कि उन्हें तो आरटीआइ का सहारा ही अब दिखाई दे रहा है।

    आवंटी मनोज ने कहा कि ड्रा लोगों के सामने खुले में होना चाहिए था। ड्रा को बंद कमरे में कराने का क्या मतलब है। इधर, डीडीए उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार ने कहा कि प्लाटों का विकास कार्य पूरा किया जा रहा है। उन्होंने ड्रा में किसी प्रकार की गड़बड़ी की बात को नकार दिया। ज्ञात हो कि इस योजना को 1981 में उतारा गया था। डीडीए के अनुसार अभी तक इसमें से 744 आवेदकों को प्लाट दिए जाने के लिए ड्रा नहीं निकाला जा सका था। शुक्रवार को इन लोगों के लिए भी ड्रा निकाल दिया गया। इस योजना में बहुत से लोगों को अभी तक प्लाट का कब्जा नहीं मिला है। जिसके चलते आवंटी सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने लगभग एक माह पहले आदेश दिया था कि चार माह के भीतर डीडीए रोहिणी आवासीय योजना के सभी आवंटियों को विकसित प्लाट चार माह के भीतर उपलब्ध कराए।

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