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    नोटबंदी का एक साल, लेनदेन के तरीकों में आए बदलाव से डेढ़ गुना बढ़ा डिजिटल लेनदेन

    By Kishor JoshiEdited By:
    Updated: Wed, 08 Nov 2017 08:20 AM (IST)

    बीते वर्ष 8 नवंबर को की गई नोटबंदी के बाद से आमलोगों के वित्तीय लेनदेन के तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

    नोटबंदी का एक साल, लेनदेन के तरीकों में आए बदलाव से डेढ़ गुना बढ़ा डिजिटल लेनदेन

    नई दिल्ली (जेएनएन)। नोटबंदी ने बीते एक साल में वित्तीय लेनदेन की वर्षो से चली आ रही आमलोगों की आदत को काफी हद तक बदल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर, 2016 को एक हजार और पांच सौ रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा के बाद डिजिटल लेनदेन में डेढ़ गुना तक की वृद्धि दर्ज की गई है।

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    एक साल पहले जब नोटबंदी का एलान हुआ था, उससे पहले अक्टूबर 2016 में 70.21 करोड़ सौदे डिजिटल माध्यम से हुए थे। इनमें क्रेडिट-डेबिट कार्ड से होने वाले भुगतान के अलावा ऑनलाइन बैंकिंग के आंकड़े भी शामिल थे। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, करीब नौ महीने बाद जुलाई, 2017 तक डिजिटल लेनदेन की तादाद 113 करोड़ हो चुकी है। इस तरह डिजिटल लेनदेन में 60 फीसद की वृद्धि हुई।

     

    सरकार मानती है कि डिजिटल भुगतान के प्रति न केवल रुझान बढ़ रहा है, बल्कि लोग इसके फायदों को भी समझ रहे हैं। बीते एक साल में डेबिट क्रेडिट-कार्ड से भुगतान बढ़ा है और बड़ी संख्या में लोगों ने मोबाइल वालेट और अन्य मोबाइल एप से भुगतान की व्यवस्था को भी अपनाया है। इस अवधि में वालेट से होने वाले लेनदेन की तादाद 9.96 करोड़ से बढ़कर 23.55 करोड़ हो गई है।

    सरकार बार-बार 'लेस कैश अर्थव्यवस्था' पर जोर डालती रही है। नोटबंदी ने इस दिशा में आगे बढ़ने में मदद की है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी पहले यूपीआइ और फिर बाद में भीम एप के जरिये देश के दूरदराज के इलाकों के लोगों को भी डिजिटल लेनदेन के प्रति प्रोत्साहित करने का काम किया। इतना ही नहीं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के निर्देश पर मंत्रालय के अधीन आने वाले ढाई लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटरों से लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने का अभियान भी चलाया गया, ताकि लोग नकद को छोड़ डिजिटल लेनदेन को अपना सकें। मंत्रालय एक और अभियान चलाया जिसमें डिजिटल भुगतान करने वालों को पुरस्कृत किया गया। इसके लिए बाकायदा पूरे देश में डिजिटल मेलों का आयोजन किया गया था।

    नकद भुगतान को हतोत्साहित करने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर कदम उठाए। इनमें डिजिटल भुगतान पर कैश बैक जैसे ऑफर भी आए। इसमें पेट्रोल और डीजल खरीद पर डिजिटल भुगतान करने पर छूट दी गई। इसी तरह रिजर्व बैंक के जरिये सरकार ने डेबिट कार्ड पर लगने वाले शुल्क में कमी की। इसका असर भी दिखा। नोटबंदी से पहले अक्टूबर, 2016 में डेबिट कार्ड से 12.88 करोड़ लेनदेन हुआ था। जुलाई, 2017 में यह आंकड़ा 20.98 करोड़ तक पहुंच गया। यानी करीब 140 फीसद का इजाफा। इनमें रुपे कार्ड के आंकड़े शामिल नहीं हैं।

    डेबिट और क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेनदेन की संख्या में इजाफा होने की एक वजह यह भी रही कि बीते एक साल में कार्ड स्वाइप करने वाली मशीन पीओएस की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई। सरकार की तरफ से पीओएस मशीनों पर कर छूट की घोषणा की गई, ताकि ज्यादा से ज्यादा मशीनों को इस्तेमाल में लाया जा सके। इसका नतीजा हुआ कि अक्टूबर 2016 में जहां करीब 15 लाख पीओएस मशीनें इस्तेमाल में लायी जा रही थीं, वहीं जुलाई 2017 आते-आते इनकी संख्या 25 लाख से अधिक हो गई। जानकारों का मानना है कि अगर यह रुख आगे भी जारी रहा तो देश में डिजिटल लेनदेन की संख्या में और तेज वृद्धि हो सकती है।

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