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    नोटबंदी के साल बाद फिर बैंकों में नकदी का संकट, शोपीस बनीं पीओएस मशीनें

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 08 Nov 2017 12:40 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, जींद नोटबंदी को आज एक साल पूरा हो गया है। नकदी की बजाय आनलाइन ट्रांजेक्

    नोटबंदी के साल बाद फिर बैंकों में नकदी का संकट, शोपीस बनीं पीओएस मशीनें

    जागरण संवाददाता, जींद

    नोटबंदी को आज एक साल पूरा हो गया है। नकदी की बजाय आनलाइन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई नोटबंदी का जिले में खास असर नहीं देखने को मिला है। लोग अब भी नकदी से लेन-देन को प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि इंटरनेट बैं¨कग में जरूर वृद्धि जरूर हुई है। जिले में 7648 पीओएस मशीनें इंस्टाल हुई थीं, जिनमें से ज्यादातर शो-पीस बनकर रह गई हैं।

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    जींद जिले की बात करें तो यहां कुल 27 बैंक हैं, जिनकी जिलेभर में 193 ब्रांच हैं। इसके अलावा 141 एटीएम काम कर रहे हैं। दैनिक जागरण ने लीड बैंक के अधिकारियों सहित कई बैंकों के प्रबंधकों से बातचीत की। इस दौरान यह निकलकर सामने आया कि बड़े बिजनेसमैन अब आनलाइन ट्रांजेक्शन या चेक से लेन-देन कर रहे हैं, लेकिन छोटे कारोबारी अभी भी कैश में लेन-देन करके ज्यादा खुश हैं। इसी तरह आम आदमी भी नकदी में ही लेन-देन कर रहा है। आंकड़ों की बात करें कि नकदी में जितना लेन-देन पहले होता था, उतना ही अब हो रहा है। हालांकि चेक के जरिए लेन-देन में करीब 20 फीसदी की वृद्धि जरूर हुई है।

    पालिका बाजार और शूज मर्चेंट एसोसिएशन के प्रधान ऋषिपाल ने बताया कि नोटबंदी ने कारोबारियों की कमर तोड़ दी है। सरकार का आनलाइन ट्रांजेक्शन का दावा भी फेल हो गया है। उसके पास दो पीओएस मशीनें हैं। जब नोटबंदी हुई थी, तब दो-तीन महीने तो एक लाख रुपये की ट्रांजेक्शन होती थी। लेकिन अब महीने में मुश्किल से पांच हजार रुपये का कारोबार हो रहा है। ऋषिपाल ने बताया कि नोटबंदी के बाद बाजार में रुपयों का फ्लो भी बहुत कम हो गया है। अभी बाजार में ग्राहक बहुत कम है। इसी तरह करियाणा दुकानदार सुभाष ने बताया कि उसकी पीओएस मशीन से सालभर में मुश्किल से 12 ट्रांजेक्शन ही हुई हैं।

    --यूथ में आनलाइन लेन-देन का क्रेज बढ़ा

    सफीदों गेट स्थित स्टेट बैंक आफ इंडिया के मैनेजर अशोक कोचर ने बताया कि यूथ में आनलाइन ट्रांजेक्शन का क्रेज जरूर बढ़ा है। इंटरनेट बैं¨कग भी युवा ज्यादा कर रहे हैं। कहते हैं कि जागरूकता की कमी के कारण लोग आम आदमी आनलाइन परचेज से भी डर रहे हैं। जींद में अभी भी बड़े शहरों की तरह आनलाइन खरीद का क्रेज नहीं बढ़ा है। इसका बड़ा कारण बड़ा आनलाइन लेन-देन में फ्रॉड की बढ़ रही घटनाएं भी हैं।

    --पीछे नहीं आ रही नोटों की सप्लाई

    अभी जिले में नकदी का बड़ा संकट बना हुआ है। सभी बैंकों में पीछे से सप्लाई बहुत कम आ रही है। एक बैंक प्रबंधक ने बताया कि अभी रेलवे, पोस्ट आफिस, रोडवेज, और शराब ठेकेदारों सहित आम आदमी जो कैश बैंक में जमा करवाता है, उसे ही ग्राहकों को दिया जा रहा है। कैश की कमी के कारण दो लाख वालों को 50 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। नकदी के संकट के कारण एटीएम में भी पर्याप्त रुपया नहीं जमा हो रहा है।

    --आनलाइन बैं¨कग में जागरूकता जरूरी

    आनलाइन बैं¨कग बहुत फायदेमंद है। इससे समय की बचत भी होती है। आम आदमी को आनलाइन बैं¨कग के प्रति जागरूकता होना जरूरी है। नोटबंदी के बाद चेक से लेन-देन भी बढ़ा है। इंटरनेट बैं¨कग के जरिए बिजली और पानी के बिल भरने में वृद्धि हुई है।

    त्रिलोचन सैनी, सीनियर मैनेजर, लीड बैंक, जींद