नोटबंदी की सालगिरह: BJP मना रही है कालाधन विरोधी दिवस, विपक्ष मना रहा है काला दिवस
नोटबंदी की पहली वर्षगांठ पर सत्तारूढ भाजपा इसे कालाधन विरोधी दिवस के रूप में मना रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आज नोटबंदी के एक साल पूरे हो गए हैं। नोटबंदी की पहली वर्षगांठ पर भाजपा जहां इसे कालाधन विरोधी दिवस के रूप में मना रही है तो विपक्ष काला दिवस के रूप में।
इसी क्रम में एक दिन पहले ही दोनों दलों के नेताओं ने मोर्चा तैयार कर लिया। मनमोहन गुजरात में लघु व मध्यम व्यवसायियों से रूबरू थे। जबकि जेटली दिल्ली में मीडिया से। वित्त मंत्री ने कहा कि पैसे बैंकों में आने से नोटबंदी की सफलता को नहीं आंका जाना चाहिए। नोटबंदी देश की अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए थी। वह हो रहा है। इससे भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म होगा ऐसा नहीं कहा जा सकता, लेकिन अब भ्रष्टाचार मुश्किल है।
नोटबंदी की सालगिरह के एक दिन पूर्व मंगलवार को विपक्ष और सरकार के बीच जुबानी जंग तेज हो गई। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इतिहास का पन्ने देखने की नसीहत दी है। नोटबंदी को संगठित लूट बताने वाले डॉ. सिंह पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा कि नोटबंदी का फैसला एक नैतिक कदम और अभियान था। जो नैतिक रूप से सही होता है, वही सही राजनीति भी होती है। नोटबंदी का फैसला उचित था और सरकार इसके लक्ष्य व परिणाम से संतुष्ट है। हालांकि इसका पूरा स्वरूप कुछ दिनों बाद सामने आएगा।
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लूट तो कांग्रेस काल में हुई
मनमोहन सिंह के लूट संबंधी बयान पर जेटली ने कहा कि लूट तो कांग्रेस काल में हुआ करती थी। लूट वह होती है जो 2जी, कोल और कॉमनवेल्थ घोटालों में कांग्रेस काल में हुई। कांग्रेस का लक्ष्य है परिवार की सेवा, हमारा लक्ष्य है देश की सेवा।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां कर रही प्रशंसा
देश के आर्थिक हालात पर मनमोहन की टिप्पणी पर भी एतराज जताते हुए जेटली ने कहा कि देश की 2014 से पहले और बाद की आर्थिक स्थिति की तुलना कर लें तो जवाब मिल जाएगा। २०१४ से पहले जो हालात थे उसमें भारत के ब्रिक्स से बाहर होने की आशंका होने लगी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत पंगुता हावी थी। आज ऐसी कोई एजेंसी नहीं है जो भारत में हो रहे सुधारों की प्रशंसा न कर रही हो।
पूर्व पीएम के आरोप
- नोटबंदी और जीएसटी देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक रही।
- इसका कोई मकसद पूरा नहीं हुआ। छोटे उद्यमियों की कमर टूट गई।
- नोटबंदी का दिन अर्थव्यवस्था व लोकतंत्र के लिए काला दिन था।
- 'टैक्स टेरेरिज्म' के डर ने भारतीय कारोबारियों का भरोसा खत्म किया।
- एक साल में आयात २३ फीसद बढ़कर ४५,००० करोड़ के पार गया।
- दुनिया के किसी देश ने ८६ फीसद करेंसी खत्म करने का विनाशकारी कदम नहीं उठाया।
- नकदी का चलन कम करने के लिए नोटबंदी का कोई असर नहीं होता।
वित्त मंत्री का जवाब
-8 नवंबर 2016 देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण था।
- यह 'कालेधन की भयावह बीमारी' से देश को बचाने का संकल्प दर्शाता है।
- देश जानता है कि संप्रग सरकार ने कालेधन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को भी अनसुना किया था।
- कालेधन की लड़ाई में उनकी अरुचि बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट लागू करने में 28 साल की देरी से दिखती है।
- नोटबंदी का एक लक्ष्य कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाकर कालेधन का चलन रोकना था। यह पूरा हुआ।
- नोटबंदी व जीएसटी जैसे संरचनात्मक सुधारों से लंबी अवधि में फायदा तय।
- यदि आपके कंधे मजबूत नहीं हैं तो ऐसे साहसी कदम नहीं उठा सकते, भारत में यथास्थिति कायम रखी जा रही थी।
- मेरे पूर्ववर्ती वित्त मंत्रियों की तरह मैं नीतिगत पंगुता का एकमात्र विकल्प नहीं चुन सकता था।
- भारत पिछले तीन साल से लगातार तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बना हुआ है।
पीएमओ ने भी गिनाए लाभ
- 01 फीसद ब्याज दर घटी
- 03 गुना बढ़ा शहरी स्थानीय निकायों का राजस्व। उत्तर प्रदेश में चार गुना, मध्य प्रदेश व गुजरात में पांच गुना बढ़ोतरी हुई।
- 50 फीसद बढ़ी डेबिट कार्ड से भुगतान करने वालों की संख्या। इस साल अगस्त में यह 26.55 करोड़ रही।
- 48 फीसद बढ़ी डेबिट कार्ड से भुगतान की राशि, हुई 35,413 करोड़ रुपये।
- 15.44 लाख करोड़ की पुरानी करेंसी प्रचलन में थी। इनमें से 15.२28 लाख करोड़ वापस आए। सिर्फ 16 हजार करोड़ की पुरानी करेंसी ही बैंकिंग प्रणाली से बाहर।
- रियल एस्टेट के दामों में आई गिरावट।
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