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    आरटीआइ का जवाब न देने पर सोनिया, राजनाथ, पवार और मायावती तलब

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jul 2016 06:35 PM (IST)

    2014 में सूचना का अधिकार कानून के तहत अर्जी दाखिल कर इन दलों से चंदा, फंडिंग और आंतरिक चुनाव को लेकर जानकारी मांगी थी। जवाब नहीं मिलने पर सीआइसी में शिकायत दर्ज कराई गई थी।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। आरटीआइ अर्जी का जवाब नहीं देने पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने देश के छह बड़े राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं को तलब किया है। आरटीआइ कार्यकर्ता आरके जैन की अर्जी पर आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, बसपा सुप्रीमो मायावती, माकपा नेता प्रकाश करात, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी को 22 जुलाई को पेश होने का निर्देश दिया है।

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    सीआइसी ने वर्ष 2013 में छह राष्ट्रीय दलों भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, माकपा और भाकपा को आरटीआइ के प्रति जवाबदेह ठहराया था। जैन ने फरवरी, 2014 में सूचना का अधिकार कानून के तहत अर्जी दाखिल कर इन दलों से चंदा, फंडिंग और आंतरिक चुनाव को लेकर जानकारी मांगी थी। जवाब नहीं मिलने पर सीआइसी में शिकायत दर्ज कराई गई थी। उस वक्त ये सभी नेता संबंधित दलों के प्रमुख थे। आयोग ने सोनिया गांधी के नाम से जबकि अन्य पांच दलों के अध्यक्षों/महासचिवों को नोटिस जारी किया था।

    जैन ने सीआइसी के रजिस्ट्रार एमके शर्मा पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर के समक्ष शिकायत दी थी। उन्होंने राजनाथ, शरद पवार, मायावती, प्रकाश करात और सुधाकर रेड्डी के नाम से नोटिस जारी नहीं करने पर आपत्ति जताई थी। सीआइसी ने अब इन्हें 22 जुलाई को बिमल जुल्का, श्रीधर आचार्युलु और सुधीर भार्गव की पूर्ण पीठ के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है।

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    नोटिस में कहा गया है, '20 जुलाई तक जवाब दाखिल करने में विफल रहने और निर्धारित तिथि पर पेश नहीं होने की स्थिति में यह मान लिया जाएगा कि आपको अपने बचाव में कुछ नहीं कहना है। इसके बाद कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।' जैन ने आरोप लगाया है कि अर्जी में उन्होंने सभी नेताओं के नाम का उल्लेख किया था। लेकिन, रजिस्ट्रार ने सोनिया गांधी के अलावा अन्य दलों के तत्कालीन प्रमुखों के नाम से नोटिस जारी किया। उन्होंने आरटीआइ की धारा 20 का उल्लेख करते हुए बताया कि अर्थदंड व्यक्तिगत तौर पर ही लगाया जा सकता है। ऐसे में नाम नहीं होने वे कार्रवाई से बच जाएंगे।

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