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    मां बनने के बाद डिप्रेशन में चली जाती हैं अधिकांश महिलाएं !

    By Monika minalEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jul 2016 02:51 PM (IST)

    भारत में मां बनने वाली महिलाएं डिप्रेशन में फंसकर आत्‍महत्‍या की राह चुन लेती हैं। यह वर्ल्‍ड हेल्‍थ आर्गेनाइजेशन के एक सर्वे से सामने आया है।

    नई दिल्ली। मां बनने के बाद अधिकांश महिलाओं की दुनिया न चाहते हुए भी बच्चे के आस-पास सिमट जाती है। ऐसे में उनके दिमाग में नकारात्मक भावनाओं का उमड़ना स्वभाविक है और वे डिप्रेशन के दलदल में फंस जाती हैं और अंतत: आत्महत्या कर लेती हैं। विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) के अनुसार, विकासशील देशों में 20 फीसद मां बच्चे के जन्म के बाद डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। भारत में हर वर्ष औसतन सवा करोड़ बच्चों का जन्म होता है।

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    मां बनने के बाद बेंगलुरु की आइटी प्रोफेशनल, नंदिता भी डिप्रेशन की शिकार हो गयीं थीं, उनके दिमाग में भी नकारात्मक बातों ने घर बनाना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया, ‘मेरा घर से निकलना नहीं होता था। हर वक्त बच्चे के साथ रहती थी। हर चीज बच्चे के आस-पास ही घूमती थी। इसलिए परिस्थितियां खराब होती जा रही थी।‘

    यह अच्छा हुआ कि समय रहते नंदिता चेत गयीं उन्होंने अपने इन अनुभवों को नॉर्मल नहीं समझा और इलाज कराया।

    लेकिन नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार, 20,000 से अधिक युवा मां, जिनमें मुख्य रूप से घरेलू महिलाएं अधिक हैं, हर साल आत्महत्या करती है। किसानों के बाद आत्महत्या करने वालों में इनकी संख्या सबसे अधिक है।

    पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन में को-डायरेक्टर प्रोफेसर विक्रम पटेल ने कहा,’यह महत्वपूर्ण सवाल है कि पश्चिमी यूरोप की तुलना में भारत में आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 6-7 गुना अधिक क्यों है।‘

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    नई माताओं में डिप्रेशन के पीछे के कारणों में चिंता, रोने की आवाज, मूड स्विंग, नींद की कमी आदि छोटे-छोटे कारण हो सकते हैं। इसके अलावा निजी जिंदगी में बदलाव, नकारात्मक विचार और मतिभ्रम आदि परेशानियां भी आती हैं। साथ ही अनियोजित गर्भधारण से लेकर शराबी पति, बेटे के लिए दवाब व हार्मोनों में बदलाव भी कारण होते हैं।

    बेंगलुरु के निमहंस में मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर व हेड, डॉ. प्रभा एस चंद्रा ने कहा, 100 में से 15 महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी होती हैं जैसे डिप्रेशन या बेचैनी... इसलिए भारत में माओं के साथ यह बड़ी समस्या है।

    एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार, हजारों महिलाओं, विशेषकर ग्रामीणों के लिए जिनमें इन बीमारी का पता नहीं लगता और बच्चे के जन्म संबंधित डिप्रेशन से लड़ती हैं, के लिए सिहोर में नया प्राइम (PRIME) प्रोजेक्ट लांच किया गया है।

    इस प्रोजेक्ट को प्रोफेसर पटेल ने डिजायन किया है। इसमें फिजिकल के साथ साथ मेंटल हेल्थकेयर भी शामिल है। लेकिन भारत के 29 राज्यों में से केवल मध्यप्रदेश में ही यह प्रोजेक्ट कार्यान्वित किया गया है जहां सभी गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाती है।

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