उत्तर कोरिया की चेतावनी, हल्के में न ले अमेरिका
उत्तर कोरिया ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह कोरियाई प्रायद्वीप में गड़बड़ी नहीं करे। गड़बड़ी करने पर उत्तर कोरिया पूरी ताकत से उसका जवाब देगा।
उत्तर कोरिया को आतंकी देश ठहराने पर विचार
सियोल (रायटर) । उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल विकास कार्यक्रमों को रोकने के लिए अमेरिका कई तरीके अपना रहा है। बावजूद इसके उत्तर कोरिया पर अमेरिका की चेतावनी का कोई असर नही हो रहा है। वहीं अब उत्तर कोरिया ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह कोरियाई प्रायद्वीप में गड़बड़ी नहीं करे। गड़बड़ी करने पर उत्तर कोरिया पूरी ताकत से उसका जवाब देगा। उत्तर कोरिया पहले भी अमेरिका को परमाणु हमले की धमकी दे चुका है।
वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा, उत्तर कोरिया को लेकर हम सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। उसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों की सूची में डालने का प्रस्ताव भी शामिल है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के कारण लोग आतंक और भय के माहौल में जी रहे हैं। उत्तर कोरिया को अमेरिका ने पहले भी आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों की सूची में रखा था। 2008 में उसे राहत दी गई थी।
एशिया के सहयोगी देशों की यात्रा पर निकले अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा है कि उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिका का सामरिक सयंम का युग अब खत्म हो गया है। अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष पॉल रेयान ने लंदन दौरे में कहा कि उत्तर कोरिया पर दबाव बनाने के लिए सेना का इस्तेमाल भी एक विकल्प है। किम जोंग उन जैसे तानाशाह की ताकत बढ़ने नहीं दी जा सकती। रेयान ने कहा कि चीन के साथ मिलकर हो रहे प्रयासों से काफी उम्मीदें हैं। जल्द ही प्रभावी नतीजा सामने आएगा।
दक्षिण कोरिया ने सेना को सतर्क रहने का कहा
दक्षिण कोरिया के कार्यकारी राष्ट्रपति ह्वांग क्यो हान ने उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर सेना को सतर्क रहने के लिए कहा है। दक्षिण कोरिया की वायुसेना अमेरिका के साथ मिलकर एक और युद्धाभ्यास करने की तैयारी में है। हान की अमेरिकी उप राष्ट्रपति के साथ सोमवार को हुई बैठक में मिसाइल डिफेंस सिस्टम थाड की तैनाती पर विचार हुआ लेकिन उसके बारे में अंतिम फैसला चुनाव बाद नए राष्ट्रपति को करना है।
अमेरिका-चीन साथ, रूस विरोध में
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया के हाल ही में हुए असफल मिसाइल परीक्षण पर निंदा प्रस्ताव को लेकर अमेरिका और रूस आमने-सामने आ गए हैं। अमेरिका के इस प्रस्ताव का ज्यादातर सदस्य देश समर्थन कर रहे हैं। चीन को भी समर्थन में माना जा रहा है लेकिन रूस के रुख से प्रस्ताव का पारित होना संभव नहीं है। परिषद में कुल 15 सदस्य देश हैं।
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