Move to Jagran APP

मायावती का वह निर्णय जिससे यूपी चुनावों में BSP को लग सकता है झटका!

2017 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ब्राह्मण-मुस्लिम समीकरण से बसपा में खलबली मच सकती है।

By kishor joshiEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 10:41 AM (IST)
मायावती का वह निर्णय जिससे यूपी चुनावों में BSP को लग सकता है झटका!

नई दिल्ली। अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में मायावती का एक निर्णय उनकी पार्टी में राजनीतिक कलह की वजह बन सकता है और यह है टिकट बटवारा। बसपा ने अपने पारम्परिक वोट बैंक माने जाने वाले ओबीसी उम्मीदवारों के हिस्से में सेंधमारी कर ब्राह्मण और मुस्लिम उम्मीदवारों को बड़ी मात्रा में टिकट दिए है और इसी वजह से पार्टी का सबसे लोकप्रिय ओबीसी चेहरा माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बगावत कर दी।

loksabha election banner

इकनॉमिक टाइम्स (ईटी) की खबर के अनुसार, पार्टी के उम्मीदवारों की योजना में अभी तक ब्राह्मण और मुस्लिम समुदाय को आधे से ज्यादा टिकट दिये जाने की बात सामने आई है। कुछ का मानना है कि इन समुदायों में उम्मीदवारों को लेकर अलग-अलग आंकड़े सामने आ रहे हैं। ईटी से बात करते हुए एक सूत्र ने बताया- "पिछली बार बसपा के पास 76 ब्राह्मण उम्मीदवार थे लेकिन इस बार निश्चित तौर पर इसकी कहीं अधिक होने जा रही है। फिलहाल 100 से ज्यादा उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से हैं।"

पढ़ें- बसपा में भगदड़, सपा में कलह बढऩा तय : कठेरिया

वहीं बसपा के एक अन्य सूत्र का ने ईटी को अलग आंकडे देते हुए बताया, "फिलहाल, उम्मीदवारों की जो सूची है उसमें 132 मुस्लिम उम्मीदवार है जबकि 129 ब्राह्मण उम्मीदवार इसमें शामिल हैं।" लेकिन दोनों ही सूत्रों ने इस बात को स्वीकार किया है कि दोनों समुदायों से करीब 200 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है जबकि राज्य विधानसभा की 403 सीट हैं।

राज्य विधानसभा में अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) के लिए आरक्षित 86 सीटों को शामिल करने बाद गैर-ब्राह्मण ऊपरी जातियों (ऊंची जाति में आने वाले गैर-ब्राह्मण उम्मीदवार) और ओबीसी के लिए 115 से भी कम सीटें बची है। ऐसे में ओबीसी उम्मीदवारों के लिए स्पेस घट रहा है, क्योंकि बचे हुए स्पेस में गैर ब्राह्मण जातियां भी शामिल होंगी।

पढ़ें- UP Politics : ...और लड़खड़ाया बसपा का मिशन-2017

2012 में बसपा ने 40 गैर ब्राह्मणों को टिकट दिया था और अगर इस नजरिये से देखा जाए तो ओबीसी के उम्मीदवारों के लिए महज 70 सीटें बचती हैं। जबकि 2012 के चुनाव में पार्टी ने 113 ओबीसी कैंडिडेट को टिकट दिया था। बसपा के एक सूत्र ने बताया कि 2017 विधानसभा चुनाव के लिए बीएसपी के लिए चुनावी रणनीति में दलित-ब्राह्मण-मुस्लिम धुरी होंगे। ब्राह्मणों ने देखा है कि मायावती ने 2007 के बाद सबसे बेहतर प्रशासन दिया है। जबकि दंगों के बाद एसपी के प्रति मुस्लिमों का मोह भंग हुआ है"

हालांकि, जिस ओबीसी को बसपा का वोट बैंक माना जाता है उसके लिए स्पेस घटने से बसपा के गैर-यादव ओबीसी वर्ग में असंतोष बढ़ाने का काम किया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने के बाद पार्टी में केवल राम अचल भर ही प्रमुख ओबीसी चेहरे बचे हैं। सूत्रों का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बगावत बहनजी को अपनी चुनावी रणनीति में तब्दीली करने को मजबूर कर सकती है।

पढ़ें- स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा से नाता तोड़ा, मायावती पर जड़ा टिकट बेचने का आरोप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.