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SC की जयललिता को फटकार, 'मानहानि केस के जरिए लोकतंत्र का गला ना दबाएं'

तमिलनाडु सरकार की आलोचना किए जाने के मामले पर मानहानि केस दर्ज कराने पर आज सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की निंदा की।

By Monika minalEdited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 01:11 PM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 07:39 PM (IST)

नई दिल्ली, आइएएनएस : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि सार्वजनिक जीवन के लोगों को आलोचना सुनने की आदत डालनी चाहिए। डीएमडीके अध्यक्ष कैप्टन विजयकांत की याचिका पर सुनवाई करते हुए इसने कहा कि आलोचकों के खिलाफ सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करना गलत है।

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जस्टिस दीपक मिश्रा और सी नागप्पन की पीठ के अनुसार, सरकारी नीति की आलोचना करना मानहानि का मुकदमा दायर करने का सही आधार नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि सरकारी नीतियों की आलोचना करने वालों पर मानहानि का मुकदमा कर देना स्वस्थ लोकतंत्र नहीं है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था इस तरह से काम नहीं करती है। खंडपीठ ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री से पूछा कि आप इस तरह के काम में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल क्यों करती हैं? जजों ने कहा कि मानहानि कानून किसी से राजनीतिक बदला लेने का हथियार नहीं है।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को बताया गया कि सरकारी नीति की आलोचना करने वालों के खिलाफ जयललिता ने अब तक मानहानि के 131 मामले दर्ज कर रखे हैं।

यह है मामला

सरकारी नीतियों की आलोचना के लिए तमिलनाडु सरकार ने एमडीएमके अध्यक्ष विजयकांत के खिलाफ मानहानि के 14 मामले दर्ज कर रखे हैं। तिरुपुर कोर्ट से इस सिलसिले में विजयकांत के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है। इसके खिलाफ एमडीएमके नेता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को तिरुपुर कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए जयललिता को नोटिस जारी किया।

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