आसान नहीं है नए भाजपा अध्यक्ष की राह
राजधानी में बढ़ रही राजनीतिक अनिश्चितता के बीच दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले सतीश उपाध्याय की राह आसान नहीं है। उन्हें न सिर्फ विपक्ष के हमले का जवाब देना है बल्कि संगठन में गुटबाजी को रोककर सभी धड़ों को साथ लेकर चलते हुए कार्यकर्ताओं की शिथिलता भी दूर करनी होगी। ऐसा करने में वे सफल होंगे तभी लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली बढ़त बरकरार रह सकेगी।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। राजधानी में बढ़ रही राजनीतिक अनिश्चितता के बीच दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले सतीश उपाध्याय की राह आसान नहीं है। उन्हें न सिर्फ विपक्ष के हमले का जवाब देना है बल्कि संगठन में गुटबाजी को रोककर सभी धड़ों को साथ लेकर चलते हुए कार्यकर्ताओं की शिथिलता भी दूर करनी होगी। ऐसा करने में वे सफल होंगे तभी लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली बढ़त बरकरार रह सकेगी।
भाजपा ने अनुभव पर नए चेहरे को तवज्जो देने के साथ ही पंजाबी व वैश्य समुदाय को नेतृत्व सौंपने की परंपरा से भी बाहर निकलने की कोशिश की है। यह प्रयोग कितना सफल रहेगा यह तो आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन नए अध्यक्ष सतीश उपाध्याय की राह मुश्किल जरूर है। उपाध्याय के नाम पर अंतिम निर्णय लेना आसान नहीं था क्योंकि, एक तरफ पंजाबी समुदाय के नेता इसके लिए तैयार नहीं थे तो वहीं विधायक व सांसद इनकी वरिष्ठता को लेकर एतराज जता रहे थे। इसलिए उन्हें इन सभी से तारतम्य बैठाते हुए पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए काम करना होगा। प्रदेश कार्यकारिणी तय करना भी उपाध्याय के लिए आसान नहीं होगा। किसी भी फेरबदल से गुटबाजी को हवा मिल सकती है। इसलिए अब देखना होगा कि उपाध्याय अपनी टीम में नए चेहरों को लाएंगे या फिर गोयल व हर्षवर्धन की टीम के साथ ही काम करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली में सरकार को लेकर बनी हुई राजनीतिक अनिश्चतता की स्थिति को दूर करना तथा विपक्ष के हमले से शिथिल पड़ रहे कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है। पिछले लगभग दो माह से दिल्ली में भाजपा विधायक सरकार बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। इससे कार्यकर्ता व नेता असमंजस की स्थिति में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह चुनाव की तैयारी करें या फिर सरकार बनने का इंतजार। वहीं विपक्ष बिजली, पानी व महंगाई को मुद्दा बनाकर आक्रामक मुद्रा में है। इससे लोगों के बीच भाजपा को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। इसलिए सरकार को लेकर ऊहापोह की स्थिति दूर करने की जिम्मेदारी भी नए अध्यक्ष पर होगी। नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर भी भाजपा चिंतित है, क्योंकि जनता से जुड़े अधिकांश काम निगम के माध्यम से होते हैं। विपक्ष भी निगम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर भाजपा को घेरने की कोशिश में जुटा हुआ है। इसलिए निगम की कार्यप्रणाली सुधारना भी एक चुनौती भरा काम है।