नौ साल से है उन्नाव किले में खजाने की खनक
उन्नाव, अवधेश पांडेय। खजाने की संभावनाओं के बीच राजा राव रामबक्श के किले में खोदाई भले ही अब हो रही हो लेकिन संत शोभन सरकार के दरबार में यह पिछले करीब नौ साल से रुक-रुककर खनकता रहा है। बेहद करीबी अनुयायियों को राजा-महाराजा का खजाना बताकर शोभन सरकार ने कभी उसे खोदवाने की पहल नहीं की।
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एएसआइ [आर्कियोलॉजिलकल सर्वे ऑफ इंडिया] और जीएसआइ [जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया] टीम भले कह रही है कि उसने अपने सर्वे के बाद किले में गुरुवार से खोदाई शुरू कराई, लेकिन मामला तब खुला जब शोभन सरकार ने किले में हजार टन सोना होने का दावा कर उसे खोदवाने की चिट्ठी सरकारों को भेजी। उसके बाद जीएसआइ एवं एएसआइ टीमों ने सर्वे कर जमीन के अंदर कुछ न कुछ होने की पुष्टि कर एक तरह से संत के दावे पर मोहर लगा दी।
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संत के एक करीबी के अनुसार पहली बार नौ साल पहले मामला सामने आया था। आखिर अब खोदवाने की आवश्यकता के सवाल पर वह कहते हैं कि इस समय देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जाना जरूरी है। ऐसे में उनके गुरु जी ने उन्हें आदेश दिया कि इसे सरकारी खजाने में जमा करा कर दुनिया का ध्यान खींचा जा सके। जब सरकारी खजाने में अकूत संपदा होगी तो दुनिया के देश बेफिक्री के साथ भारत में निवेश कर करेंगे। उससे रुपये का मूल्य बहुत ऊपर आ सकेगा।
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