डौंड़िया खेड़ा के खजाने को लेकर प्रयाग में सामने आए चार हजार वंशज
उन्नाव के डौंडियाखेड़ा किले में हो रही खजाने की खोदाई में अभी तक भले ही सोना न मिल पाया हो, पर खजाने के नए-नए दावेदार जरूर मिल रहे हैं। प्रयाग में चार हजार लोगों की दावेदारी खजाने के लिए शुरू हुई है। इलाहाबाद के रहने वाले दो सौ परिवारों के यह लोग खुद को राजा राव रामबक्स सिंह का वंशज होने का दावा कर रहे हैं।
इलाहाबाद। उन्नाव के डौंडियाखेड़ा किले में हो रही खजाने की खोदाई में अभी तक भले ही सोना न मिल पाया हो, पर खजाने के नए-नए दावेदार जरूर मिल रहे हैं। प्रयाग में चार हजार लोगों की दावेदारी खजाने के लिए शुरू हुई है। इलाहाबाद के रहने वाले दो सौ परिवारों के यह लोग खुद को राजा राव रामबक्स सिंह का वंशज होने का दावा कर रहे हैं। परिवार का दावा है कि राव रामबक्स उनके वंशज मर्दन राव की बाद की चौथी पीढ़ी के हैं।
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रावराम बक्श को अपना वंशज बताने वाले परिवारों में से एक के डॉ. मृदुल सिंह बेनी माधव डिग्री कॉलेज के बीटीसी विभाग के अध्यक्ष हैं। उन्होंने बताया कि 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में उनके वंशज राजा पोरंदर झूंसी प्रतिष्ठान आए थे। बैसवारा के त्रिलोक चंद की नवीं पीढ़ी में पुरंदर राव डौंडियाखेड़ा के शासक
थे।
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इनके तीन पुत्र मर्दन राव, लाले राव और भीखे राव थे। लालेराव के वंशज लवायन, करछना, मुगारी, अकोढ़ा में बस गए। भीखेराव के परिवारीजन कोटवा, ढोकरी, छिबैया, सुदनीपुर, कतवारूपुर व मवैया में बसे। वहीं मर्दन राव वापस डौंडियाखेड़ा चले गए।
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मर्दन राव की चौथी पीढ़ी के राजा राव रामबक्श सिंह हुए। डॉ. मृदुल सिंह का कहना है कि उनके पास इस संबंध में कुछ दस्तावेज हैं जिन्हें वह जरूरत पड़ने पर अदालत में पेश करेंगे। उन्होंने बताया कि लगभग दो सौ परिवारों के चार हजार लोग राजा राव रामबक्स के ही वंशज हैं। सभी लोगों का खजाने पर दावा बनता है।
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