नए कांग्रेसी तय करेंगे कांग्रेस का भविष्य
इसे हार की हताशा कहे या कुछ और पीढ़ी गत बदलाव के मुहाने पर खड़ी कांग्रेस को अब खाटी कांग्रेसियों पर भरोसा नहीं रहा। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद पार्टी को उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सोच से भी ज्यादा बदले जाने की प्रक्रिया में 'टीम राहुल' के रूप में पहचाने जाने वाले नेताओं की भूमिका बढ़ने वाली है। इनमें से कई नेता पार्टी में बेहद महत्वपूर्ण पदों पर हैं और उनकी कार्यशैली को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। इसे हार की हताशा कहे या कुछ और पीढ़ी गत बदलाव के मुहाने पर खड़ी कांग्रेस को अब खाटी कांग्रेसियों पर भरोसा नहीं रहा। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद पार्टी को उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सोच से भी ज्यादा बदले जाने की प्रक्रिया में 'टीम राहुल' के रूप में पहचाने जाने वाले नेताओं की भूमिका बढ़ने वाली है। इनमें से कई नेता पार्टी में बेहद महत्वपूर्ण पदों पर हैं और उनकी कार्यशैली को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं।
कांग्रेस को बिना कॉडर की पार्टी से कॉडर वाली पार्टी में बदलने में जुटे राहुल गांधी को पुराने नेताओं पर भरोसा नहीं है। पार्टी में बड़े पैमाने पर परिवर्तन करने की पहल कर चुके राहुल ने इस काम के लिए बाहर से कांग्रेस में आए नेताओं पर भरोसा जताया है। राहुल की कांग्रेस के लिए कॉडर गढ़ने का काम उनके बेहद करीब माने जाने मोहन गोपाल के जिम्मे है। इसी तरह राहुल की कर्मभूमि उत्तर प्रदेश के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री भी भविष्य की कांग्रेस गढ़ने वालों में बेहद अहम है।
ट्रेड यूनियन से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के समर्थक और फिर भाजपा से बागी हुए शंकर सिंह वाघेला की पार्टी राष्ट्रीय जनता पार्टी के रास्ते कांग्रेस में पहुंचे मिस्त्री के जिम्मे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करना है। नब्बे के दशक में जदयू में महासचिव के पद पर रहे मोहन प्रकाश की गिनती भी राहुल के बेहद करीब लोगों में होती है। मोहन प्रकाश की गिनती पार्टी उपाध्यक्ष की कोर टीम में होती है।
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