भारत में नोटबंदी से नेपाल में संकट, 600 करोड़ के व्यापार पर असर
भारत में नोटबंदी के फैसले का पड़ोसी देश नेपाल पर असर पड़ रहा है। इससे निपटने के लिए कोशिशें जारी हैं। लेकिन अभी तक समाधान नहीं निकल सका है।
नई दिल्ली(जेएनएन)। केंद्न सरकार द्बारा नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले से पड़ोसी राष्ट्र नेपाल भी प्रभावित हुआ है। नोटबंदी के संकट से उबरने के लिए नेपाल सरकार की तरफ से कई कोशिश की गई लेकिन अभी सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया है। नेपाल राष्ट्रीय बैंक के प्रतिनिधिमंडल की वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत हुई है। नेपाल के राष्ट्रीय बैंक का प्रतिनिधित्व कर रहे चिंतामणि शिवकोटी ने कहा नेपाल में हालात दिनोंदिन खराब हो रहे हैं।
नोटबंदी के फैसले से नेपाल में संकट
नेपाली अधिकारियों का कहना है कि भारत सरकार के फैसले से नेपाल संकट में है। लेकिन भारतीय अधिकारी नोटबंदी के मुद्दे को सुलझाने में गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं। भारत में नेपाल के राजदूत दीप उपाध्याय ने कहा कि नेपाल में करीब 600 करोड़ का कारोबार भारतीय रुपये में होता है। लेकिन भारत में नोटबंदी के बाद पिछले दो महीनों में भारत की ओर से एक भी रूपया नेपाल नहीं पहुंचा है। हालांकि पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने काठमांडू के अलग-अलग इलाकों में करीब 100 करोड़ रुपये भेजे हैं।
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कई दौर की नाकाम बातचीत
नेपाल के विदेश मंत्री प्रकाश शरन महत पिछले हफ्ते भारत सरकार द्वारा आयोजित रायसीना संवाद में शामिल होने के लिए नई दिल्ली में थे। उस दौरान उन्होंने नोटबंदी से हो रहे नुकसान पर चर्चा की थी। लेकिन भारतीय अधिकारियों से बातचीत में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी । पिछले साल नवंबर में नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल ऊर्फ प्रचंड ने भी इस सिलसिले में पीएम मोदी से बात की थी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा था। नेपाल सरकार ने 500 और दो हजार की नई करेंसी को अपने देश में अमान्य घोषित कर दिया था।
नेपाल में बड़े पैमाने पर भारतीय करेंसी का इस्तेमाल
नेपाल में भारत करेंसी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाई जाती है। पुराने नोटों पर पाबंदी की वजह से नेपाली नागरिकों के पास मौजूद करेंसी को बदलवाने के लिए भारत सरकार की मदद चाहिए। भारत से जुड़े नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार कैशलेस और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। लेकिन नेपाल में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए किसी तरह के अभियान पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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