कहानी सुना कर समाज बदलने की अनूठी पहल..
एनसीईआरटी ने 'यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निग' पर आधारित कहानियों की 40 किताबें तैयार की हैं। छुटपन की कहानियों के लिहाज से यह दुनिया का ऐसा पहला प्रयोग है।
नई दिल्ली (मुकेश केजरीवाल)। कैसा हो कि अलग-अलग शारीरिक और मानसिक क्षमता वाले बच्चे एक साथ बैठ कर कहानियां पढ़ें और उसमें हर बच्चे को पूरा मजा आए और सीखने का भी बराबर मौका मिले! इस बेहद मुश्किल चुनौती को राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के विशेषज्ञों ने कामयाब कर दिखाया है। इन्होंने 'यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निग' (यूडीएल) पर आधारित कहानियों की 40 किताबें तैयार की हैं। छुटपन की कहानियों के लिहाज से यह दुनिया का ऐसा पहला प्रयोग है।
यह प्रयोग कामयाब रहा तो धीरे-धीरे मुख्य पाठ्यक्रम को भी इसी डिजाइन पर तैयार करने का प्रयास किया जा सकता है। इससे देश भर के स्कूलों में विविध क्षमता वाले बच्चों को साथ पढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही ऐसी पढ़ाई की मदद से बच्चे आगे चल कर एक समावेशी समाज का निर्माण कर सकेंगे।
ये किताबें कई तरह से खास हैं। सामान्य बच्चों को तो ये बहुत आकर्षक और रोचक लगेगी ही, विशेष जरूरत वाले बच्चों को भी उतनी ही उपयोगी बनाने के लिए इसमें कई प्रयोग किए गए हैं। इनमें हर पन्ने पर छपे हुए अक्षरों के साथ ही ब्रेल का भी उपयोग किया गया है। कमजोर नजर वाले बच्चों के लिए चित्र को विशेष तौर पर उभारा गया है। जिन बच्चों का ध्यान एक जगह केंद्रित नहीं होता, उनके लिए मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावी कई उपाय किए गए हैं। इसी तरह पन्नों के अंदर ही विशेष फ्लैप देकर बच्चों को शब्दों का अर्थ रोचक तरीके से बताया गया है।
महीनों के शोध और प्रयोग के बाद इन किताबों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि सामान्य बच्चों के साथ ही सीखने, बोलने या भाषा के लिहाज से किसी तरह की विशेष जरूरत वाले बच्चे भी इसका आनंद ले सकें। यहां तक कि सुनने या देखने की समस्या वाले, शारीरिक रूप से अलग क्षमता वाले, ऑटिज्म के शिकार बच्चों का भी इसमें ध्यान रखा गया है। इन किताबों की सीरीज को 'बरखा- एक पठन श्रंखला, सभी के लिए' नाम दिया गया है।
एनसीईआरटी के विशेष आवश्यकता समूह शिक्षा विभाग की प्रमुख प्रो. अनुपम आहूजा कहती हैं, 'इस प्रयोग का लक्ष्य यह है कि सभी बच्चों को एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ाया जाए। क्योंकि विशेष स्कूल बच्चों को शुरू से ही अलग-थलग करते हैं। एक ही किताब से जब सभी तरह के बच्चे पढ़ेंगे तो उनमें आपसी दोस्ती भी बढ़ेगी और आत्मविश्वास भी मजबूत होगा।'
प्रो. आहूजा बताती हैं कि यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निग पर आधारित पाठ्य पुस्तकों को ले कर तो कुछ देशों में काम हुए हैं, लेकिन छोटे बच्चों की ऐसी रोचक कहानियों के लिए यह दुनिया का पहला प्रयास है। ये किताबें वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं और इसकी सीडी भी बनाई गई है। प्रो. आहूजा कहती हैं हमारी इच्छा है कि यह देश के हर बच्चे तक पहुंचे। इसके लिए तकनीकी रूप से इसे ऐसा बनाया गया है कि लोग कंप्यूटर और मोबाइल पर भी देख सकें और सोशल मीडिया के जरिए इसका लिंक आपस में साझा भी कर सकें।
देश भर के स्कूलों तक इसे पहुंचाने को ले कर क्या तैयारी की जा रही है यह पूछने पर एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति कहते हैं कि इसके लिए राज्यों की पाठ्यपुस्तक एजेंसियों के साथ ही टेक्सटबुक ब्यूरो और प्रकाशकों से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही इसके उपयोग के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। वे कहते हैं कि यह एक शुरुआत है। इस सीरीज के अनुभव के आधार पर यूनिवर्सल डिजाइन के प्रयोग को ले कर आगे बढ़ा जाएगा।
कैसे अलग हैं ये किताब
- छुटपन की कहानियों की ऐसी दुनिया की पहली कोशिश
- हर पन्ने पर छपे अक्षरों के साथ ब्रेल भी
- कमजोर नजर वालों के लिए प्रमुख पात्रों के चित्र को विशेष उभार
- ध्यान केंद्रित करने में समस्या वालों के लिए कई विशेष प्रयोग
- शब्दों का मतलब सिखाने के लिए उसी पन्ने पर विशेष फ्लैप
- बेहद आकर्षक छपाई, डिजाइन और कथ्य
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