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चीन के 'नेकलेस' का जवाब देने के लिए अहम हुआ श्रीलंका

भारतीय कूटनीति में श्रीलंका की अहमियत बेहद बढ़ गई है। संकेत इस बात के हैं कि भारत श्रीलंका को 'नेबरहुड फ‌र्स्ट पॉलिसी' के तहत साथ ले कर चलने में बेहद सक्रिय कूटनीति का सहारा लेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 22 Apr 2017 02:52 AM (IST)Updated: Sat, 22 Apr 2017 05:49 AM (IST)
चीन के 'नेकलेस' का जवाब देने के लिए अहम हुआ श्रीलंका

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। चीन ने जिस तरह से भारत के बेहद पड़ोसी देशों को लुभाने के लिए एक के बाद एक तिकड़म आजमाने की रणनीति अपनाई है उसे देखते हुए भारतीय कूटनीति में श्रीलंका की अहमियत बेहद बढ़ गई है। संकेत इस बात के हैं कि भारत अब अपने इस दक्षिण पड़ोसी देश को 'नेबरहुड फ‌र्स्ट पॉलिसी' के तहत साथ ले कर चलने में बेहद सक्रिय कूटनीति का सहारा लेगा। इसकी शुरुआत श्रीलंका के पीएम रानिल विक्रमसिंघे की अगले हफ्ते भारत आने से होगी। इसके कुछ ही हफ्तों बाद पीएम नरेंद्र मोदी श्रीलंका की यात्रा पर जाएंगे।

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भारत ने कुछ हफ्ते पहले ही नेपाल को कई तरह के नए आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। इसके अलावा भी नेपाल में कूटनीतिक स्तर पर काफी कोशिश की जा रही है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले वर्ष ढाका यात्रा के दौरान बांग्लादेश को 24 अरब डॉलर की मदद देने का ऐलान किया था। लेकिन मोदी सरकार बांग्लादेश के साथ रिश्तों को परवान चढ़ाने में बेहद गंभीरता से लगी हुई है। कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश पीएम शेख हसीना नई दिल्ली आई थी और माना जा रहा है कि भारत ने ढाका में ड्रैगन के बढ़ते कदम को कुछ हद तक थामा है।

इस क्रम में अब श्रीलंका की बारी है। मोदी ने वर्ष 2015 में श्रीलंका की द्विपक्षीय यात्रा कर यह संकेत दे दिया था कि नई दिल्ली कोलंबों के साथ रिश्तों को नए नजरिए से देख रहा है। सनद रहे कि मोदी श्रीलंका की द्विपक्षीय यात्रा पर 27 वर्ष बाद जाने वाले पहले पीएम थे। अब मोदी दो वर्ष बाद ही कोलंबो फिर से द्विपक्षीय यात्रा पर जा रहे हैं जो भारत के बदले हुए नजरिए को बताता है। सूत्रों के मुताबिक मोदी की यात्रा के दौरान श्रीलंका में त्रिंकोमाली बंदरगाह के विकास से जुड़ा अहम समझौता हो सकता है।

सनद रहे कि चीन भी श्रीलंका में एक बड़ा पोर्ट (हमबनतोता) विकसित कर चुका है और एक अन्य पोर्ट के लिए दोनों देशों के बीच बात हो रही है। अगर भारत श्रीलंका में पोर्ट विकसित करने के लिए समझौता होता है तो ईरान और बांग्लादेश के बाद इस तरह का तीसरा समझौता होगा। ध्यान रहे कि ईरान में भारत चाबहार पोर्ट बना रहा है इसी महीने बंग्लादेश में भी एक पोर्ट विकसित करने का समझौता हुआ है।

क्या है चीन का पर्ल नेकलेस

चीन पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक के बीच पांच नए पोर्ट बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इस रणनीति को 'पर्ल नेकलेस' का नाम दिया गया है। इससे पूरे हिंद महासागर में चीन के नौ सेना की बादशाहत कायम हो सकती है। सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि अमेरिका व जापान जैसे देश भी इससे चिंतित है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर ही पड़ेगा। पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट पूरी तरह से चीन के नियंत्रण में आ चुका है। श्रीलंका के हमबनतोता बंदरगाह पर उसका पूरा नियंत्रण है। साथ ही इसके पास ही एक बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र भी वह बना चुका है। चीन बांग्लादेश को चटगांव पोर्ट के लिए मनाने में जुटा है। जबकि म्यंमार में इस उद्देश्य से दो पोर्ट चीन बना रहा है। यही वजह है कि देश के रणनीतिक विशेषज्ञ अगले एक महीने के भीतर भारत व श्रीलंका के शीर्ष स्तर पर दो बार वार्ता को लेकर खासे उत्साहित हैं।

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