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    काल्पनिक कुत्ते की मौत पर कलह

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    Updated: Sat, 13 Jul 2013 09:10 AM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गुजरात दंगों के दौरान अपने फैसलों को सही साबित करने के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए इस काल्पनिक उदाहरण पर तूफान खड़ा हो गया है कि अगर आपकी गाड़ी से कोई कुत्ते का बच्चा भी कुचल जाए तो आपको दुख होता है। विरोधी दलों के नेताओं ने आनन-फानन इस काल्पनिक कुत्ते की मौत की व्याख्या इस रूप में कर डाली कि मोदी दंगों में मारे गए लोगों की तुलना कुत्ते से कर रहे हैं। मोदी के बयान पर कांग्रेस, सपा और वामदलों ने जोरदार हमला बोलत

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गुजरात दंगों के दौरान अपने फैसलों को सही साबित करने के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए इस काल्पनिक उदाहरण पर तूफान खड़ा हो गया है कि अगर आपकी गाड़ी से कोई कुत्ते का बच्चा भी कुचल जाए तो आपको दुख होता है। विरोधी दलों के नेताओं ने आनन-फानन इस काल्पनिक कुत्ते की मौत की व्याख्या इस रूप में कर डाली कि मोदी दंगों में मारे गए लोगों की तुलना कुत्ते से कर रहे हैं। मोदी के बयान पर कांग्रेस, सपा और वामदलों ने जोरदार हमला बोलते हुए माफी की मांग की है, तो भाजपा और शिवसेना उनके बचाव में उतर आई है। चौतरफा हमलों पर मोदी ने भी ट्वीट कर सफाई दी है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा ने भी मोदी का पक्ष लिया है।

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    कांग्रेस संपर्क विभाग के प्रमुख और महासचिव अजय माकन ने मोदी के बयान को असंवेदनशील और आपत्तिजनक ठहराया है। उन्होंने कहा कि वह मोदी द्वारा तुलना के लिए इस्तेमाल किए शब्दों की घोर निंदा करते हैं। यह उनकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि मोदी अपने ही सबसे बड़े दुश्मन बनते जा रहे हैं। अगर उन्हें यह लगता है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है, तो उन्हें कम बोलना चाहिए। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने मोदी के बयान को खतरनाक बताने के साथ ही राष्ट्र के खिलाफ भी करार दिया।

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    समाजवादी पार्टी के नेता कमाल फारुखी ने मोदी के बयान को शर्मनाक बताते हुए कहा कि उन्होंने एक समुदाय का अपमान किया है। मोदी को तुरंत लोगों और देश से माफी मांगनी चाहिए। उधर, भाजपा और शिवसेना मोदी के बचाव में उतर आई है।

    भाजपा ने उनके पूरे बयान को पढ़ने का सुझाव दिया है। शिवेसना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि देश की कमान हिंदुत्ववादी नेता के हाथों में होनी चाहिए। मोदी का रुख निश्चित तौर पर राजग को फायदा पहुंचाएगा। संगमा ने कहा कि गुजरात दंगों के समय मोदी को मुख्यमंत्री बने महज दो ही महीने हुए थे। बाद में मोदी ने भी ट्विटर पर सफाई दी और अपने पूरे साक्षात्कार को नत्थी कर दिया और कहा कि जनता खुद फैसला करे।

    इससे पहले मोदी एक बार फिर 2002 दंगों पर खुलकर बोले। गुजरात दंगों के दौरान अपने फैसलों को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जो कुछ किया, ठीक किया। चूंकि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया इसलिए उन्हें कोई अफसोस भी नहीं है। खुद को जन्म से हिंदू और राष्ट्रवादी बताते हुए मोदी ने कहा कि यह कोई गुनाह नहीं है।

    दंगों पर उन्होंने कहा कि इसके लिए दुनिया की सबसे अच्छी अदालतों में शुमार सुप्रीम कोर्ट ने काबिल अफसरों का विशेष जांच दल [एसआइटी] गठित किया था। एसआइटी ने उन्हें क्लीनचिट दी है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ भी गलत होने पर अफसोस तो होता ही है।

    मोदी ने इससे पहले एक उर्दू दैनिक के संपादक और सपा नेता से बातचीत में दंगों पर खुलकर चर्चा की थी। इसके चलते उन्हें सपा से निकाल दिया गया था।

    जब मोदी से पूछा गया कि क्या आपको 2002 के दंगों के आधार पर अपना मूल्यांकन किए जाने से दुख होता है तो उन्होंने कहा कि हर आदमी का अपना एक नजरिया होता है। लोगों को आलोचना करने का अधिकार है। परेशानी तब होती है जब आपने कोई गलती की होती है। अगर मैं कुछ गलत करता हूं, अगर मैं चोरी करता हूं और पकड़ा जाता हूं तब परेशानी होती है कि मैं पकड़ गया, लेकिन यहां तो मामला ही अलग है।

    जब उनसे पूछा गया कि 2002 में आपने जो किया वह बिल्कुल ठीक था तो उन्होंने कहा, 'हां बिल्कुल और इसी की जांच तो एसआइटी ने की थी।' एक अन्य सवाल पर मोदी ने कहा, 'मैं देशभक्त हूं और देशभक्त होने में कुछ भी गलत नहीं है। जहां तक लोग मुझे प्रगतिशील, विकासोन्मुख, काम करने वाला बताते हैं तो यह उनका नजरिया है। एक हिंदू राष्ट्रवादी और उद्योग समर्थक होने के बीच कोई विरोधाभास नहीं है।'

    लगातार होने वाली आलोचनाओं पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की ताकत आलोचना में है। अगर आलोचना पर पाबंदी है तो इसका सीधा मतलब है कि वहां लोकतंत्र नहीं है। अगर आपको तरक्की करनी है तो आपको आलोचनाओं का स्वागत करना होगा। चूंकि मैं तरक्की चाहता हूं इसलिए आलोचनाओं को स्वीकार करता हूं। सत्तावादी होने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि जो नेता फैसले नहीं लेता है, उसे कौन स्वीकार करेगा? फैसला लेने की क्षमता नेता का अहम गुण है। इसे उसकी नकारात्मकता नहीं कहा जा सकता। अगर कोई नेता सत्तावादी है, तो वह इतने लंबे समय तक सरकार नहीं चला सकता। बिना सामूहिक प्रयास के किसी को सफलता नहीं मिल सकती।

    'क्या मोदी को पता नहीं था ड्राइवर गाड़ी कैसे चला रहा है। अगर ड्राइवर ऐसे गाड़ी चला रहा था कि किसी की मौत हो जाए, तो वह पीछे बैठे क्या कर रहे थे।'

    -कपिल सिब्बल, विधि मंत्री

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    'यह पूरी तरह से शर्मनाक है कि मोदी एक नरसंहार को जायज ठहरा रहे हैं और गलत उदाहरण दे रहे हैं। पुलिस द्वारा मासूमों की हत्या यही मोदीराज का मॉडल है।'

    -वृंदा करात, माकपा नेता

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    'मोदी का मानसिक परीक्षण किया जाना चाहिए। अगर ऐसा व्यक्ति प्रधानमंत्री बनता है, तो यह देश के लिए खतरनाक स्थिति होगी।'

    -शिवानंद तिवारी, जदयू नेता

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    'मोदी के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। उनके कहने का मतलब था कि कुत्ते के बच्चे की भी कार के नीचे आकर मौत होने पर इंसान दुखी होगा।'

    -निर्मला सीतारमण, भाजपा प्रवक्ता

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    ट्वीट

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    'भारतीय संस्कृति में जीवन के हर स्वरूप की अहमियत है और उसकी पूजा की जाती है।'

    -नरेंद्र मोदी का ट्वीट

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