मेरे धार्मिक मामलों में दखल देने का किसी को अधिकार नहीं : टीएस ठाकुर
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) टीएस ठाकर ने कहा कि किसी का धर्म क्या है यह उसका बेहद निजी मामला होता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश-दुनिया में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता से चिंतित सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा है कि इंसान और भगवान के बीच रिश्ता बेहद निजी होता है। इससे किसी अन्य का कोई मतलब नहीं होना चाहिए। उनका कहना था, 'मेरा धर्म क्या है? मैं अपने ईश्वर के साथ कैसे जुड़ता हूं?
उनकी इबादत किस तरह से करता हूं? यह बेहद निजी मामला है। मेरे धार्मिक मामलों में दखल देने का किसी को कोई अधिकार नहीं है।' जस्टिस ठाकुर रविवार को सर्वोच्च न्यायालय के जज रोहिंटन एफ नरीमन द्वारा पारसी धर्म पर लिखित एक पुस्तक का लोकार्पण कर रहे थे। उन्होंने समाज में शांति के लिए सहिष्णुता की भावना विकसित करने पर जोर दिया।
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प्रधान न्यायाधीश के अनुसार, 'इस दुनिया में राजनीतिक संघर्ष के मुकाबले धार्मिक लड़ाइयों में ज्यादा लोग मारे गए हैं। लोगों ने एक-दूसरे को नास्तिक और काफिर कह कर मार दिया। धार्मिक मान्यताओं के कारण संसार में ज्यादा तबाही और नरसंहार हुए हैं।' वह बोले, 'मैं ईश्वर की पूजा कैसे करता हूं? उनसे क्या रिश्ता रखता हूं।
इससे किसी का कोई लेनादेना नहीं होना चाहिए।' न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, 'मैं सोचता हूं कि आपसी भाईचारा, सहिष्णुता के संदेश के साथ यह बात अगर जन-जन तक जाए कि सभी धर्मों के रास्ते एक ही ईश्वर को जाते हैं तो विश्व में शांति, समृद्धि बढ़ेगी। इस दिशा में जस्टिस रोहिंटन ने महत्वपूर्ण कार्य किया है।'

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