न्यायपालिका को गैरजरूरी बोझ से मुक्ति दिलाए सरकार : जस्टिस ठाकुर
टीएस ठाकुर ने कानून मंत्रालय से ऐसे तंत्र पर विचार करने का अनुरोध किया है जो न्याय प्रणाली को अनावश्यक बोझ से मुक्ति दिला सके। ...और पढ़ें
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कानून मंत्रालय से ऐसे तंत्र पर विचार करने का अनुरोध किया है जो न्याय प्रणाली को अनावश्यक बोझ से मुक्ति दिला सके। अनावश्यक बोझ सरकार और उसके विभागों को कुछ फैसले लेने में बिलकुल उदासीन, लापरवाह या अक्षम बना देता है।
मुख्य न्यायाधीश ने सरकार से पूर्व न्यायाधीशों को शामिल करते हुए एक समिति भी गठित करने को कहा है। यह समिति तय करेगी कि जिस मुद्दे को अदालत के बाहर निपटाया जा सकता है तो उस स्थिति में किसी नागरिक के खिलाफ मामला लड़ा जा सकता है या नहीं।जस्टिस ठाकुर ने कहा, 'मैं कानून मंत्री से आग्रह करना चाहूंगा कि न्याय प्रणाली को अनावश्यक बोझ से मुक्ति दिलाने वाले एक तंत्र पर विचार करें। ऐसा नहीं है कि हम उस बोझ को सहने के लिए तैयार नहीं है।
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इसका कारण यह है कि इससे सरकार फैसला लेने की स्थिति में उदासीन या अक्षम हो जाती है।'मुख्य न्यायाधीश यहां राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के थीम सांग की लांचिंग के मौके पर संबोधित कर रहे थे। विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत एनएएलएसए का गठन किया गया है। यह प्राधिकरण समाज के कमजोर तबके के लोगों को मुफ्त विधि सेवा मुहैया कराता है।
जस्टिस ठाकुर ने कुछ ऐसे अनावश्यक मामलों का उल्लेख किया जिन्हें अदालत पहुंचने से पहले ही देखा जा सकता था। ऐसे मामलों को प्रशासनिक स्तर पर ही निपटाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि हमलोग न्याय करते हैं तो क्या सरकार भी ऐसा नहीं कर सकती है? आखिर हम क्यों नागरिक को अदालत जाने के लिए मजबूर करें?

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