'एक देश एक कानून' को नहीं मानेगा मुस्लिम बोर्ड
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पूरे देश में एक कानून सुनिश्चित करने वाली समान नागरिक संहिता के विरोध में खुलकर सामने आ गया है। बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने समान नागरिक संहिता की ओर
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पूरे देश में एक कानून सुनिश्चित करने वाली समान नागरिक संहिता के विरोध में खुलकर सामने आ गया है। बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ते कदमों का विरोध करते हुए विधि आयोग के सवालों का बायकाट करने का एलान किया है।
बोर्ड ने आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह मुसलमानों के खिलाफ है। इसका उद्देश्य पर्सनल लॉ को खत्म करना है। बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठन आयोग के सवालों का जवाब नहीं देंगे। बोर्ड ने तीन तलाक और बहुविवाह के बारे में केंद्र सरकार के हलफनामे का भी विरोध किया है।
पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मोहम्मद वली रहमानी ने गुरुवार को दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समान नागरिक संहिता से भारत की विविधता को खतरा है। तीन तलाक और बहुविवाह पर सरकार का हलफनामा और विधि आयोग द्वारा तैयार की गई प्रश्नावली दोनों का उद्देश्य समान नागरिक संहिता का रास्ता साफ करना है। विभिन्न समस्याओं से जूझते देश में इस तरह के विवादित मुद्दे उठाने का उद्देश्य समाज की शांति भंग करना है।
बोर्ड ने कहा कि वह सरकार और विधि आयोग को साफ कर देना चाहता है कि पर्सनल लॉ पूरे मुस्लिम समुदाय की आवाज है और वे इसमें किसी तरह की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए तीन तलाक और समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठा रही है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने विधि आयोग को इस पर विचार का काम सौंपा है, जिस पर आयोग ने प्रश्नावली जारी कर लोगों से सुझाव मांगे हैं।
आयोग के कुछ अहम सवाल
1. तीन तलाक
-- रद कर दिया जाए?
-- प्रथा के रूप में बरकरार रहे, लेकिन कानून में मान्यता न हो?
-- कुछ बदलाव करके बने रहने दिया जाए?
2. बहुविवाह
-- प्रतिबंधित किया जाए?
-- नियंत्रित किया जाए?
-- बहुविवाह की तरह हिंदुओं में मैत्री करार को बैन किया जाए या नियंत्रित किया जाए?
(मैत्री करार गुजरात में होता है, जहां शादीशुदा व्यक्ति किसी महिला के साथ स्टैंप पेपर पर दोस्ती का करार करता है और फिर उसे अपने घर ले आता है। हालांकि कानूनन प्रतिबंध होने के बावजूद कहीं-कहीं प्रथा के रूप में है।)
3. हिंदू महिलाओं की संपत्ति के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
4. तलाक के लिए ईसाई महिलाओं को दो साल के इंतजार का समय क्या इन महिलाओं के समानता के अधिकार को प्रभावित करता है?
5. क्या पर्सनल लॉ को संहिताबद्ध करने से लैंगिक समानता सुनिश्चित हो सकती है?
मुस्लिम बोर्ड की आपत्ति:
पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मोहम्मद वली रहमानी ने कहा कि समान नागरिक संहिता से लोगों में झगड़ा और विरोध बढ़ेगा। पर्सनल लॉ पूरे मुस्लिम समुदाय की आवाज है। हम इसमें किसी तरह की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे। मोदीजी पहले दुश्मनों से निपटें। घर के अंदर दुश्मन न बनाएं।
विधि आयोग का जवाब
विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान ने कहा कि विधि आयोग देश के संविधान के मुताबिक काम करेगा। अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यकों के विचार नहीं थोपे जाएंगे। हमने प्रश्नावली को जनता के बीच में रखा है, ताकि सभी पक्ष जवाब दे सकें। प्रश्नावली सभी धर्मो के लिए है।
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