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    यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, कहा राष्ट्र हित में नहीं

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Fri, 14 Oct 2016 02:34 AM (IST)

    मुस्लिम पर्सनल लॉ यूनिफॉर्म सिविल कोड को राष्ट्र हित के खिलाफ बताते हुए कहा कि वे इसका बहिष्कार करेंगे।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन तलाक जैसी रीति को मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा से जोड़कर इसका समर्थन करते रहे मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड अब समान नागरिक संहिता के विरोध में खुल कर सामने आ गया है। पर्सनल ला बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ते कदमों का विरोध करते हुए विधि आयोग की प्रश्नावली का बायकाट करने का ऐलान किया है।

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    बोर्ड ने प्रश्नावली तैयार करने के पीछे आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये मुसलमानों के खिलाफ है। ये पर्सनल ला को खतम करने के उद्देश्य से तैयार की गई है बोर्ड और मुस्लिम संगठन प्रश्नावली का जवाब नहीं देंगे। बोर्ड ने तीन तलाक और बहुविवाह के बारे में केंद्र सरकार के हलफनामे का भी विरोध करते हुए कहा है कि सरकार तीन तलाक तथा समान नागरिक संहिता का मुद्दा लोगों का समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए लायी है। समान नागरिक संहिता से लोगों में झगड़ा और विरोध बढ़ेगा।

    सरकार ने विधि आयोग को इस पर विचार का काम सौंपा है जिस पर विधि आयोग ने प्रश्नावली जारी कर लोगों से सुझाव मांगे हैं। उधर मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक और बहुविवाह पर सुप्रीमकोर्ट में 18 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। जहां सरकार हलफनामा दाखिल कर तीन तलाक का विरोध कर चुकी है।

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    पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मोहम्मद वली रहमानी ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समान नागरिक संहिता लाकर सभी को एक रंग में रंगने का प्रयास किया जा रहा है इससे भारत की विभिन्नता और अनेकता को खतरा है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक और बहुविवाह पर सरकार की ओर से दिया गया हलफनामा और विधि आयोग द्वारा तैयार की गई प्रश्नावली दोनों का उद्देश्य समान नागरिक संहिता का रास्ता साफ करना है। विभिन्न समस्याओं से जूझते देश में इस तरह के विवादित मुद्दे उठाने का उद्देश्य समाज की शांति भंग करना और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना है। इसके जरिए सरकार समस्याओं से निपटने की अपनी नाकामी से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। बोर्ड ने कहा है कि वह सरकार और विधि आयोग को साफ कर देना चाहते हैं कि पर्सनल ला पूरे मुस्लिम समुदाय की आवाज है और वे इसमें किसी तरह की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

    रहमानी ने कहा कि जनसंख्या आंकड़े देखने से पता चलता है कि मुसलमानों से ज्यादा हिन्दुओं में तलाक होते हैं। हालांकि उन्होंने माना कि पर्सनल ला के पालन में कुछ दिक्कतें हैं और समय समय पर उन पर ध्यान दिया जाता है।

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    उन्होंने कहा कि भारत विभिन्नता वाला देश है यहां अलग अलग धर्म और समुदाय के लोग अपने अपने रीतिरिवाज मानते हैं यहां समान नागरिक संहिता लागू नहीं हो सकती। सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जिस अमेरिका की बात करते हैं वहां हर स्टेट में अपना कानून मानने और पहचान बनाए रखने की इजाजत है। इस मामले में अमेरिका का अनुकरण क्यों नहीं किया जाता। देश में विभिन्न संस्कृतियां हैं उनका सम्मान किया जाना चाहिए सरकार बांटने का काम कर रही है। संविधान में हमें धार्मिक स्वतंत्रता मिली हुई है। रहमानी ने कहा कि विधि आयोग के 16 सवाल धोखाधड़ी हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड समान नागरिक संहिता के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाएगा।

    बायकाट के फैसले में सामूहिक निर्णय साबित करने के लिए संवाददाता सम्मेलन में जमात उलेमाए हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी, जमाते इस्लामी हिंद के पूर्व उपाध्यक्ष मोहम्मद जफर, जमीएत उलेमा हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी, आल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव डाक्टर एम मंजूर आलम और दरुल उलूम देवबंद के अबुल कासिम नुमानी आदि शामिल थे।