भ्रष्टाचार मामले में भुजबल को अंतरिम राहत देने से इन्कार
भ्रष्टाचार के आरोपों में 14 मार्च से न्यायिक हिरासत में चल रहे भुजबल ने मनी लांड्रिंग एक्ट की कुछ धाराओं को चुनौती देते हुए अंतरिम राहत के लिए एक याचिका दायर की थी।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल को अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया है। भ्रष्टाचार के आरोपों में 14 मार्च से न्यायिक हिरासत में चल रहे भुजबल ने मनी लांड्रिंग एक्ट की कुछ धाराओं को चुनौती देते हुए अंतरिम राहत के लिए एक याचिका दायर की थी।
उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर एवं न्यायमूर्ति एम.एस.सोनक की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता पीएमएल एक्ट को ही चुनौती दे रहा है, इसलिए उसे अंतरिम राहत देते हुए रिहा करने का सवाल ही नहीं उठता। जजों ने भुजबल से कहा कि हम आपको अंतरिम राहत देने को तैयार नहीं हैं। इसके लिए आपको उचित अदालत में नई याचिका दाखिल करनी होगी। खंडपीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भुजबल की याचिका का जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए और सुनवाई छह हफ्तों के लिए टाल दी है।
इस बीच, उच्च न्यायालय की ही दूसरी पीठ ने मुंबई के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए कि वह भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) एवं आर्थिक अपराध शाखा द्वारा कोर्ट में पेश की गई रिपोटरें को देखकर अपनी राय दें। इन दोनों विभागों द्वारा मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट के फंड में भुजबल एवं उनके परिवार द्वारा की गई गड़बडि़यों की जांच की गई है। यह पीठ मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट के संस्थापक न्यासी समीर कर्वे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कर्वे ट्रस्ट में भुजबल व उनके परिवार द्वारा की गई गड़बडि़यों का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।

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