दिल्ली गैंगरेप: सजा सुनकर भी मुस्कुरा रहा था ये दरिंदा
अदालत कक्ष में 50 से अधिक लोगों की मौजूदगी के बावजूद सन्नाटा पसरा था। सभी की सांसें फैसले के इंतजार में अटकी थीं। ऐसे में एक शख्स वहां खड़ा मुस्कुरा रह ...और पढ़ें

पवन कुमार, नई दिल्ली। अदालत कक्ष में 50 से अधिक लोगों की मौजूदगी के बावजूद सन्नाटा पसरा था। सभी की सांसें फैसले के इंतजार में अटकी थीं। ऐसे में एक शख्स वहां खड़ा मुस्कुरा रहा था। यह कोई अन्य नहीं, बल्कि बहादुर बिटिया का गुनहगार मुकेश कुमार था। वह अदालती फैसले के बाद भी मुस्कुराता रहा।
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अभियुक्त मुकेश कुमार, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को फास्ट टै्रक अदालत में 2.20 बजे लाया गया। विनय की आंखों में आंसू थे और पूरी तरह से लाल थीं। आंखों में पछतावा कम, मौत का खौफ कहीं अधिक दिख रहा था। उसे देखकर लग रहा था कि मौत के खौफ में वह रात भर सोया नहीं है।
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वहीं, अक्षय के चेहरे से हवाइयां उड़ी हुई थीं। वह बदहवास सा था। पवन गुप्ता के माथे पर चिंता की लकीरें थीं और उसके अंदर की घबराहट साफ दिख रही थी। वहीं इन तीनों के उलट मुकेश की हालत कुछ अलग ही थी। वह बार-बार विनय व अपने अन्य साथियों की ओर देखता और मुस्कुरा देता। उसका यह क्रम अदालत के फैसला सुनाने तक जारी रहा।
अदालत ने जब 2.26 बजे चार मिनट के भीतर फैसला सुनाते हुए अभियुक्तों को सजा-ए-मौत सुनाई तो विनय दहाड़ मार कर रो पड़ा। विनय रोते हुए चिल्लाया सर जी..। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और फैसला सुनाकर 2.30 बजे वहां से चले गए। विनय जज से कुछ कहना चाह रहा था, पुलिसकर्मी उसे घसीटते हुए ले गए।
वहीं, पवन गुप्ता और अक्षय की आंखों से भी आंसू निकल पड़े। उनके वकीलों ने उन्हें दिलासा भी दिया।
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