'बेटी तुम्हे इंसाफ मिल गया और मुझे सुकून'
'जज साहब जब फैसला सुना रहे थे, ऐसा लगा बेटी आंखों के सामने खड़ी है। तभी मैंने बेटी से हंसते हुए कहा कि अब तुम आजाद हो गई। घर जाकर बेटी की तस्वीर के आगे ...और पढ़ें

आशुतोष झा, नई दिल्ली। 'जज साहब जब फैसला सुना रहे थे, ऐसा लगा बेटी आंखों के सामने खड़ी है। तभी मैंने बेटी से हंसते हुए कहा कि अब तुम आजाद हो गई। घर जाकर बेटी की तस्वीर के आगे हाथ जोड़कर कहूंगी कि तुम जीत गई। सभी दरिंदों को जज साहब ने फांसी की सजा सुनाई है। मेरे दिल को आज सुकून मिल गया। आज की रात चैन की नींद सो पाऊंगी।' यह कहते-कहते पीड़िता की मां की आंखें भर आई। पिता और भाई ने भी अदालत के फैसले पर खुशी जताई।
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फैसले से पूरी तरह संतुष्ट दिख रहीं मां ने कहा कि 'मेरी बेटी ने युवकों से गिड़गिड़ाते हुए दया की भीख मांगी थी। जान बख्श देने की गुहार लगाई थी, लेकिन दरिंदों ने उस पर तरस नहीं खाया। सुबह जब घर से निकली तो न जाने क्यों बार-बार बेटी की तस्वीर देखने का मन कर रहा था। फिर जहां तस्वीर रखी है, वहां पहुंचते ही लगा कि बेटी कह रही हो- मां दरिंदों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाना। सरकार, दिल्ली पुलिस और मीडिया ने इंसाफ दिलाने में जो साथ दिया, उसके लिए ताउम्र शुक्रगुजार रहूंगी।'
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वहीं, पीड़िता के भाई ने कहा कि 'दीदी ने कहा था दरिंदों को जिंदा जला देने के लिए। पर अदालत के फैसले से दीदी को न्याय मिल गया है।' पिता ने कहा कि 'इतना खुश हूं कि शब्द नहीं हैं व्यक्त करने के लिए। किसी की बेटी के साथ ऐसा न हो यही चाहूंगा।'
फैसले के बाद अदालत से बाहर निकलते समय पीड़िता की मां ने वसंत विहार थाने के एसएचओ अनिल शर्मा को गले लगाकर शुक्रिया कहा।
अभी यह पहली जीत : अवनींद्र
वारदात के दिन पीड़िता के साथ मौजूद रहे उसके दोस्त ने भी फैसले पर संतोष व्यक्त किया है। दोस्त ने कहा कि सत्र न्यायालय के फैसले से अभी तो हमे पहली जीत मिली है। हम सभी को न्याय मिला है।
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