प्लास्टिक कचरा से बचने के लिए अब बोतलबंद पानी नहीं पिलाएगी मोदी सरकार
मोदी सरकार ने सरकारी कार्यालयों में बोतल बंद पानी का इस्तेमाल करने से परहेज करने का फैसला किया है। इसकी बजाय स्वच्छ पेयजल के दूसरे इंतजाम करने को कहा गया है

नीलू रंजन, नई दिल्ली। अगली बार यदि आप किसी सरकारी कार्यक्रम में शामिल हों, तो आपके सामने बोतल के बजाय गिलास में पानी रखा होगा। मोदी सरकार ने सरकारी कार्यक्रमों में बोतलबंद पानी के उपयोग से परहेज का फैसला किया है। इसके तहत सभी केंद्रीय विभागों, मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बोतलबंद पानी के बजाय स्वच्छ पेयजल के दूसरे इंतजाम करने को कहा गया है।
सरकार का कहना है कि बोतलबंद पानी के उपयोग से बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा निकलता हो, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
बोतलबंद पानी के उपयोग पर रोक लगाने की पहल केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने की है। मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सरस्वती प्रसाद ने 28 अप्रैल को कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिखकर सरकारी कार्यक्रमों में बोतलबंद पानी की सप्लाई पर रोक लगाने की मांग की थी। सरस्वती प्रसाद के अनुसार केंद्र सरकार ने दो अक्टूबर 2019 तक स्वच्छ भारत का लक्ष्य रखा है। यह राष्ट्रपति महात्मा गांधी को उनके 150वीं जन्मदिन की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सारे देश में जन भागीदारी से स्वच्छ भारत कार्यक्रम चलाया जा रहा है। लेकिन प्लास्टिक कचरा इसमें बड़ी बाधा साबित हो रहा है। इसे हतोत्साहित करने की जरूरत है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब सरकार खुद प्लास्टिक कचरा पैदा कर रही हो, तो आम जनता को इससे बचने को कैसे कह सकती है।
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यही कारण है कि कार्मिक मंत्रालय ने सभी केंद्र सरकार के सभी विभागों, मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय के सुझाव पर तत्काल अमल करने का निर्देश जारी कर दिया है। इसके तहत बैठक, सेमिनार और वर्कशाप जैसे सभी सरकारी कार्यक्रमों के दौरान बोतलबंद पानी नहीं सप्लाई करने को कहा गया है। बोतलबंद पानी की जगह सुरक्षित पेयजल के दूसरे इंतजाम किये जा सकते हैैं। लेकिन ये इंतजाम भी ऐसे हों, जिनसे प्लास्टिक कचरा नहीं बनता हो।
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय पहले ही बोतलबंद पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा चुका है। इसके साथ ही स्वच्छता मंत्रालय राज्य सरकारों से भी सरकारी कार्यक्रम में बोतलबंद पानी के उपयोग बंद करने का अनुरोध कर रहा है। देखना यह है कि दशकों से बोतलबंद पानी पीने और पिलाने के आदि हो चुके अधिकारी इस निर्देश पर कहां तक अमल कर पाते हैैं।

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