जलट्रेन पर आए चार करोड़ के खर्च का लातूर को नहीं करना होगा भुगतान: सुरेश प्रभु
रेल मंत्री सुरेश प्रभुु ने लातूर भेजी गई वाटर एक्सप्रेस को भेजने में आए खर्च को लातूर जिला प्रशासन से न लेने की बात कही है। इस संबंध में उन्होंने आदेश भी दिए हैं।

नई दिल्ली। रेलवे ने पानी पहुंचाने के लिए लातूर प्रशासन को भेजा गया चार करोड़ रुपये का बिल वापस ले लिया है। इसी के साथ सफाई दी है कि यह बिल लातूर प्रशासन की मांग पर भेजा गया था। वैसे भी फिलहाल रेलवे के लिए सूखा प्रभावित इलाकों में पानी पहुंचाना बिल से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
रेल मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लातूर के सूखाग्रस्त इलाकों को ट्रेन के जरिए पानी पहुंचाने के अभियान की निगरानी रेलमंत्री सुरेश प्रभु व्यक्तिगत रूप से कर रहे हैं। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे खर्च की चिंता छोड़ पानी पहुंचाने के अपने काम में तब तक जुटे रहें, जब तक कि लातूर के लोगों को उसकी जरूरत हो।
रेलवे के अनुसार लातूर प्रशासन ने हाल में मध्य रेलवे से पानी पहुंचाने पर आए खर्च का ब्यौरा मांगा था। जिसके आधार मध्य रेलवे ने उन्हें चार करोड़ रुपये के खर्च का बिल भेजा था। लेकिन चूंकि फिलहाल इस अभियान में खर्च का महत्व नहीं है और लातूर में पानी की कमी रहने तक यह अभियान चलता रहेगा, लिहाजा अधिकारियों को बिल को तत्काल वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्रालय इस मसले का अलग से निपटारा करेगा।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सूखे के हालात और लातूर में भयंकर जल संकट के मद्देनजर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने प्रधानमंत्री के निर्देश पर अधिकारियों से क्षेत्र को पानी पहुंचाने के लिए विशेष इंतजाम करने को कहा था। तदनुसार रेलवे बोर्ड ने कोटा वर्कशॉप से 100 टैंक वैगनों की तत्काल व्यवस्था करवाकर उन्हें महाराष्ट्र भेज दिया। तत्पश्चात मुंबई स्थिति मध्य रेलवे ने अपने अधिकारियों को लगाकर पानी पहुंचाने के उपाय किए।
शुरू के दस दिनों तक जब महाराष्ट्र सरकार तथा मिराज व लातूर का स्थानीय प्रशासन पाइपलाइन बिछाने में व्यस्त था, पुणे डिवीजन ने अपने सीमित संसाधनों के जरिए 10 टैंक वैगनों का इंतजाम कर जलापूर्ति की व्यवस्था की। अब तक मिराज से लातूर को छह करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति की जा चुकी है। पानी पहुंचाने वाली ट्रेनों को 'जलदूत' नाम दिया गया है।

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