बर्खास्तगी के बावजूद पार्टी से जुड़े रहेंगे विधायक बिन्नी : हाईकोर्ट
किसी भी व्यक्ति के विधानसभा सदस्य चुने जाने में उसे टिकट देने वाली राजनीतिक पार्टी का अहम योगदान होता है। राजनीतिक दल की पहचान से चुनाव जीतने के बाद पार्टी से अलग हो जाने पर भी वह पार्टी से जुड़ा रहता है।
नई दिल्ली (पवन कुमार)। किसी भी व्यक्ति के विधानसभा सदस्य चुने जाने में उसे टिकट देने वाली राजनीतिक पार्टी का अहम योगदान होता है। राजनीतिक दल की पहचान से चुनाव जीतने के बाद पार्टी से अलग हो जाने पर भी वह पार्टी से जुड़ा रहता है।
यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने दिल्ली विधानसभा स्पीकर के विचार से प्रथम दृष्टया सहमति जताते हुए कहा कि पार्टी से बर्खास्त होने के बावजूद कोई भी विधानसभा सदस्य अपनी उस पार्टी से जुड़ा रहता है, जिसने उसे उम्मीदवार बनाया था। खंडपीठ ने कहा कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 1996 में दिए गए विचार से बंधे हुए हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पार्टी से निलंबित सदस्य की कोई अलग से कैटेगरी सदन में नहीं मानी जा सकती। पार्टी से निलंबित सदस्य सदन के भंग होने तक उसी पार्टी के सदस्य के तौर पर गिने जाएंगे, जिस पार्टी ने उन्हें टिकट देकर चुनाव लड़ने का मौका दिया और वे विजयी हुए। दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में आप से निलंबित विधायक विनोद कुमार बिन्नी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। बिन्नी ने विधानसभा स्पीकर के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि सदन के अंदर उन्हें पार्टी द्वारा जारी व्हीप का आदर करना चाहिए। ऐसे में वह पार्टी के व्हीप के नियमों से ही बंधे रहेंगे और उन्हें पार्टी के नियमों का पालन करना ही होगा, जब तक सरकार भंग नहीं हो जाती। बिन्नी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2011 में दिए गए उस निर्णय का हवाला दिया था जिसके तहत सपा से बर्खास्त नेता अमर सिंह और जया प्रदा को उन पर कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की गई थी और उन्हें एक आजाद उम्मीदवार के तौर पर माने जाने के लिए सदन को निर्देश दिए गए थे।
बिन्नी ने खुद को भी आम आदमी पार्टी से अलग कर आजाद उम्मीदवार का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने 12 फरवरी को स्पीकर द्वारा विधायक बिन्नी को जारी किए गए पत्र पर भी रोक लगा दी थी। बिन्नी ने दिल्ली की लक्ष्मीनगर विधानसभा से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। चुनाव जीतने के बाद जब केजरीवाल सरकार ने मंत्रिमंडल का गठन किया तो पार्टी नेताओं की नीतियों से नाराज बिन्नी ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद आप ने बिन्नी को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद आप ने व्हीप जारी कर बिन्नी पर यह रोक लगा दी कि वह सदन में किसी भी निर्णय को लेकर पार्टी के खिलाफ वोट नहीं करेंगे। इस मामले को लेकर बिन्नी ने विधानसभा स्पीकर को भी शिकायत की थी। स्पीकर ने उन्हें कहा था कि वे व्हीप जारी होने पर पार्टी के नियमों से ही बंधे रहेंगे, भले ही पार्टी ने उन्हें निष्कासित क्यों न कर दिया हो।
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