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नमो का 'नेपाली बेटा'!

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतने कम समय में पूरी दुनिया जानने लगी है। भाजपा की ओर से पीएम पद पर मोदी के नाम की घोषणा होने के बाद से ही मोदी के इतिहास व उनकी पर्सनल लाइफ से जुड़ी बातों को जानने की उत्सुकता लोगों में तेज होने लगी थी। लोगों की इस उत्सुकता के बीच जब मोदी की पत्नी जश

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 09:42 AM (IST)
नमो का 'नेपाली बेटा'!

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतने कम समय में पूरी दुनिया जानने लगी है। भाजपा की ओर से पीएम पद पर मोदी के नाम की घोषणा होने के बाद से ही मोदी के इतिहास व उनकी पर्सनल लाइफ से जुड़ी बातों को जानने की उत्सुकता लोगों में तेज होने लगी थी। लोगों की इस उत्सुकता के बीच जब मोदी की पत्नी जशोदाबेन के बारे में खुलासा हुआ तो लोग अवाक रह गए, लेकिन विरोधी दल के नेताओं को छोड़ किसी ने मोदी की शादीशुदा जिंदगी पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया पर अब मोदी के बारे में एक और हकीकत जानकर आपके दिल में उनके प्रति इज्जत और बढ़ जाएगी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी का नेपाल में एक धर्मपुत्र भी है जिसे उन्होंने ना सिर्फ पाला पोसा है बल्कि अच्छी पढ़ाई लिखाई भी कराई, साथ ही एक पिता से बढ़कर प्यार दिया। नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा को लेकर पूरा नेपाल उत्साहित है तो जीत बहादुर के परिवार में उनके प्रति गहरी श्रद्धा का भाव है। बेहद गरीब परिवार का यह लड़का अभी अहमदाबाद में पढ़ाई कर रहा है। यह बच्चा पिछले 12 साल से मोदी की देखरेख में है। जीत बहादुर के परिवार वाले उसे नरेंद्र मोदी का धर्मपुत्र मानते हैं।

12 साल से मोदी का साथ

जीत बहादुर पिछले 12 साल से मोदी के साथ है और अभी अहमदाबाद में बीबीए की पढ़ाई कर रहा है। 10 साल की उम्र में जीत बहादुर भारत में आकर खो गया था। मोदी ने न सिर्फ उसे पाला और पढ़ाया बल्कि उसको उसकी परिवार से मिलाने में भी अहम भूमिका निभाई। इसलिए जीत बहादुर की मां भी उसे मोदी का धर्मपुत्र मानती है। जीत की मां खगिसरा साहू का कहना है कि उसने जीत बहादुर को केवल जन्म दिया है जबकि मोदी ने उसके लिए बहुत कुछ किया।

ऐसे हुई मोदी से मुलाकात

जीत बहादुर का परिवार नेपाल के नवलपरासी जिले के कवासती लोकाहा गांव का रहनेवाला है। उसका परिवार बेहद गरीब है। 1998 में वो अपने भाई दशरथ के साथ दिल्ली काम की तलाश में गया। उस समय उसकी उम्र सिर्फ दस वर्ष ही थी। कुछ दिन दिल्ली में काम करने के बाद वो राजस्थान चला गया। राजस्थान में उसका मन नहीं लगा तो वो वहां से भाग कर घर आना चाहता था लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। वो गोरखपुर की ट्रेन में बैठने की बजाय अहमदाबाद की ट्रेन में बैठ गया। जब ट्रेन अहमदाबाद पहुंची तो वहां सबकुछ नया था और वह अकेला। इस घबराते हुए बच्चे को वहां एक महिला मिली, जो कि मोदी की परिचित थी। उस महिला ने इस बच्चे को नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया। तब से जीत बहादुर मोदी के साथ है।

..तो आएंगे नेपाल

जीत बहादुर के घरवालों को उम्मीद नहीं थी कि वो फिर कभी उससे मिल पाएंगे। जीत बहादुर के उसके परिवार से मिलने की कहानी बहुत दिलचस्प है। नेपाल के जाने-माने बिजनेसमैन विनोद चौधरी फिक्की के बुलावे पर 2011 में अहमदाबाद गए थे। उस कार्यक्रम में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की थी। मोदी से मुलाकत के दौरान विनोद चौधरी ने उन्हें नेपाल आने का न्यौता दिया। तब मोदी ने शर्त रखी कि अगर उनके यहां रह रहे नेपाली लड़के के परिवार का पता लगा दें तो वो जरूर नेपाल आएंगे। इस पर विनोद चौधरी ने अपने सहयोगियों की मदद से 30 घंटे के अंदर न सिर्फ जीत बहादुर के परिवार का पता लगाया बल्कि उसकी बातचीत भी घरवालों से कराई।

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मैने तो सिर्फ जीत बहादुर को जन्म दिया है जबकि मोदी ने उसके लिए बहुत कुछ किया। -खगिसरा साहू, जीत बहादुर का मां

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