ममता सरकार को भुगतनी पड़ सकती है बेरोजगार जूट श्रमिकों की नाराजगी
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस जहां अपनी सरकार के साढ़े चार वर्षों के शासनकाल में हुए विकासमूलक कार्यो का हवाला देकर वोट बैंक तैयार करने में जुटी है, वहीं चुनाव से ठीक पहले बंद हुई 12 जूट
हावड़ा, [ओमप्रकाश सिंह]। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस जहां अपनी सरकार के साढ़े चार वर्षों के शासनकाल में हुए विकासमूलक कार्यो का हवाला देकर वोट बैंक तैयार करने में जुटी है, वहीं चुनाव से ठीक पहले बंद हुई 12 जूट मिलों के 70 हजार बेरोजगार श्रमिकों की नाराजगी का खामियाजा राज्य सरकार को भुगतना पड़ सकता है। एक के बाद एक बंद हुई मिलों को चलाने में नाकाम सरकार के रवैये से लोगों में नाराजगी है।
हावड़ा में तीन से चार जूट मिलें बंद हैं। एक मिल के बंद से श्रमिक परिवारों के पांच से छह हजार सदस्य प्रभावित हुए हैं। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इसका असर राज्य सरकार के वोट बैंक पर पड़ सकता है। मिल मालिकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने पाट का समर्थन मूल्य 5,090 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है जबकि बाजार में पाट 5,900 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है। इससे उन्हें नुकसान हो रहा है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा बोरियों की कीमत निर्धारित की गई है।
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एक तरफ वे अधिक कीमत में पाट खरीदने को बाध्य हैं और दूसरी ओर कम कीमत में बेचना पड़ रहा है। इससे उन्हें लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है। जूट मिल मालिकों के संगठन इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन की ओर से लगातार जूट आयुक्त से अपील की गई कि वह पाट की कीमत को निर्धारित कीमत में ही बेचने के लिए हस्तक्षेप करे। जूट मिल मालिकों का आरोप है कि करीब आठ माह से लगातार जूट मिल आयुक्त के कार्यालय में गुहार लगाने के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला। इस वजह से उन्हें मिल बंद करना पड़ा है। गौरतलब है कि राज्य में फिलहाल 56 जूट मिले हैं, जिसमें करीब ढाई लाख श्रमिक कार्यरत हैं।
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