रक्षा उत्पादन में सौ प्रतिशत आत्मनिर्भरता संभव नहीं : पर्रिकर
रक्षा मंत्री ने आज लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि रक्षा उत्पादन में आत्म निर्भरता प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की क्षमताओं का उपयोग का उपयोग किया जाएगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर होना संभव नहीं है। बचत करने के लिए कुछ पुरजों को खुले बाजार से खरीदना ही बेहतर होता है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
प्रश्नकाल के दौरान रक्षा मंत्री ने बताया कि इन पुरजों को अगर देश में ही बनाया गया तो इस पर काफी धन खर्च करना पड़ेगा। रक्षा क्षेत्र में उच्चस्तरीय आत्मनिर्भरता के लिए 70 प्रतिशत एक अच्छा आंकड़ा हो सकता है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि भारत यह आंकड़ा कब तक हासिल कर लेगा। 'मेक इन इंडिया का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि 'मेक वन कार्यक्रम के तहत सरकार परियोजना लागत का 90 फीसद वहन करती है।
उत्पादक को दो साल के भीतर सुरक्षा बलों के मानकों के मुताबिक वस्तु विशेष का विकास करना होता है। ऐसा होने पर सरकार उस वस्तु को खरीद लेती है। जबकि 'मेक टूÓ कार्यक्रम के तहत वस्तु विशेष के उत्पादन के लिए उद्यमी अपने धन का निवेश करता है और मानक के अनुरूप पाए जाने पर सुरक्षा बलों के लिए उसे खरीद लिया जाता है।
एक लिखित जवाब में रक्षा मंत्री ने बताया कि अमेरिका, रूस, इजरायल और फ्रांस जैसे विदेशी विक्रेताओं से खरीद में लगातार कमी आ रही है। उन्होंने बताया कि 2013-14 में 35,082.10 करोड़ के मुकाबले यह खरीद 2014-15 में 24,992.36 करोड़ और 2015-16 में 22,422.12 करोड़ रुपये रही।
पर्रिकर ने बताया कि मौजूदा परिचालन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी अगर आयात की जरूरत होती है तो भारतीय उद्योग को प्रोडक्शन एजेंसी और ऑफसेट पार्टनर के रूप में शामिल किया जाता है। उन्होंने यह भी साफ किया कि रक्षा उपकरणों के आयात का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है, लिहाजा इसके लिए अलग से कोई बजटीय प्रावधान भी नहीं किया गया है।

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