आखिर कितनी बार आप सुब्रमण्यम स्वामी की टिप्पणियां रिकार्ड से हटाएंगे: आजाद
गुरुवार को राज्यसभा में सुब्रहमण्यम स्वामी की टिप्पणियों पर जमकर विवाद हुआ।उनके कटाक्ष को असंसदीय मानते हुए सदन की कार्यवाही से हटाना पड़ा।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। राज्यसभा में अपने नामांकन के दो दिनों में ही सुब्रमण्यम स्वामी विपक्ष की आंख की किरकिरी बन गए हैं। बुधवार को आगस्ता सौदे को लेकर जहां वह विपक्ष के निशाने पर रहे। वहीं, गुरुवार को स्वामी की टिप्पणी पर फिर राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ। मामला अल्पसंख्य शिक्षण संस्थानों को सरकारी मदद का था, जिस पर उनके कटाक्ष को असंसदीय मानते हुए सदन की कार्यवाही से हटाना पड़ा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने तंज भी किया कि 'स्वामी सदन को भाजपा का नायाब तोहफा हैं।'
समस्या उस वक्त खड़ी हुई जब शून्यकाल में समाजवादी पाटी के चौधरी मुनव्वर सलीम ने अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठाया। उन्होंने स्वामी का नाम लेते हुए कहा कि कभी इन्होंने भी एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के समर्थन किया था। इस पर स्वामी खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि मैं अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के नहीं, वरन उन्हें सरकार से वित्तीय मदद के खिलाफ हूं। संविधान भी इसकी इजाजत नहीं देता। इसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया। लेकिन स्वामी ने अपनी राय को मजबूती देने के लिए एक अन्य देश के संविधान का उदाहरण भी दे दिया। इस पर विपक्षी सदस्य शोर मचाते हुए वेल में पहुंच गए।
स्थिति गंभीर होती देख उप सभापति पीजे कुरियन ने तत्काल टिप्पणी को रिकार्ड से हटाने का आदेश दे दिया। उनका कहना था कि सदन में किसी अन्य देश के संविधान को उद्धृत नहीं किया जा सकता। लेकिन कांग्रेस सदस्य इससे संतुष्ट नहीं हुए। जबकि स्वामी ने सफाई दी कि चूंकि उनका नाम लिया गया था लिहाजा उन्हें उत्तर देने करने का अधिकार है। उन्होंने फिर से उस देश का नाम लिया। इस पर कांग्रेस सदस्य उखड़ गए और स्वामी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। जयराम रमेश ने कहा, 'स्वामी जानबूझकर एक देश का नाम लेकर चिढ़ाने व भड़काने का काम कर रहे हैं।'
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कुरियन ने पूछा कि जब टिप्पणी को हटा दिया गया है और रिपोर्टिग से भी मना कर दिया गया है तो फिर समस्या क्या है? इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, ''समस्या इस तरफ से नहीं, बल्कि भाजपा की ओर से दिए गए नए उपहार से है। स्वामी को सदन में आए अभी मात्र दो दिन हुए हैं। उनकी टिप्पणियों को दो बार कार्यवाही से निकाला जा चुका है। साल में 365 दिन होते हैं। आखिर आप कितनी बार उनकी टिप्पणियां रिकार्ड से हटाएंगे?'' आजाद ने आगे जोड़ा, ''स्वामी को सड़क की भाषा और संसदीय शब्दों में फर्क मालूम नहीं है। वह उम्र के साथ सीखने और परिपक्वता दिखाने को तैयार नहीं हैं।''
इस बीच संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने स्वामी के बचाव के साथ उन्हें समझाने की कोशिश की। आजाद ने भी कांग्रेस सदस्यों को शांत कराया। लेकिन स्वामी फिर उठ खड़े हुए। इस पर कुरियन ने उन्हें बैठने तथा बाद में चैंबर में मिलने को कहा।
इससे पहले सुबह सदन में जैसे ही नए सदस्य नवजोत सिंह सिद्धू ने शपथ ली, स्वामी ने बुधवार की तरह पुन: आगस्ता हेलीकाप्टर सौदे का मुद्दा उठाने की कोशिश की। जिस पर कांग्रेस सदस्यों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। स्वामी ने कहा, 'मैं उस महिला (सोनिया गांधी) का नाम लेने नहीं जा रहा हूं। मैं तो 167 के तहत जन हित का एक मामला उठाना चाहता हूं।' इस पर कुरियन ने कहा कि इस नियम में नोटिस के बाद सभापति की अनुमति से ही चर्चा संभव है।
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