Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महाराष्ट्र के हर गांव में 'स्वच्छता दूत'

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Wed, 22 Apr 2015 08:57 PM (IST)

    महाराष्ट्र सरकार ने प्रत्येक गांव में 'स्वच्छता दूत' नियुक्त करने का फैसला किया है। इससे अगले पांच वर्षो में राज्य में 56 लाख शौचालयों के निर्माण का ...और पढ़ें

    Hero Image

    मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने प्रत्येक गांव में 'स्वच्छता दूत' नियुक्त करने का फैसला किया है। इससे अगले पांच वर्षों में राज्य में 56 लाख शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। इन 'स्वच्छता दूतों' में आधी महिलाएं होंगी। प्रत्येक 'स्वच्छता दूत' को सालाना 22 हजार रुपये का मानदेय मिलेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूबे के जल आपूर्ति व स्वच्छता मंत्री बबनराव लोनीकर ने बताया, 'गांवों में 70 फीसद बीमारियां दूषित जल के कारण होती हैं। जल के प्रदूषित होने का मुख्य कारण खुले में मलत्याग करना है। आवारा पशु मानव मल के संपर्क में आते हैं और जल निकायों को प्रदूषित करते हैं। इसका नतीजा बीमारियों के तौर पर सामने आता है। ग्रामीण जनता के लिए अपने घरों में जलशोधक लगाने का खर्च वहन करना संभव नहीं है। समस्या का एकमात्र समाधान यही है कि लोग खुले में मलत्याग न करें।'

    लोनीकर ने बताया कि बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को दवा पर करीब 1000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। वहीं अस्पताल में भर्ती होने पर यह खर्च कई गुना बढ़ जाता है। महाराष्ट्र के गांवों में खुले में मलत्याग की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने 'स्वच्छता दूत' नियुक्त करने का फैसला लिया है।

    मंत्री ने कहा, 'स्वच्छता दूतों को अपने-अपने गांवों में शौचालयों के निर्माण का कार्य मिलेगा। उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि लोग खुले में शौच न जाएं। अगर किसी गांव की आबादी अधिक है, तो एक से अधिक दूत नियुक्त किए जा सकते हैं।'

    एक पुराने सर्वेक्षण का हवाला देते हुए लोनीकर ने कहा कि राज्य में 56 फीसद परिवार खुले में शौच जाते हैं। अगले माह नया सर्वेक्षण होगा। इस बार संख्या बढ़ भी सकती है।

    पीएम मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' के लिए दान दें, टैक्स में छूट लें

    पीएम के स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाएगा पतंजलि