गंगा बचाने को बनेगा अलग कानून
गंगा को बचाने के लिए सरकार एक अलग कानून बनाने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुरुवार को होने वाली मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस प्रस्तावित कानून के प्रावधानों पर चर्चा होगी। यह कानून जल और वायु संरक्षण कानूनों की तर्ज पर बनेगा और इसका उल्लंघन करने वालों
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगा को बचाने के लिए सरकार एक अलग कानून बनाने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुरुवार को होने वाली मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस प्रस्तावित कानून के प्रावधानों पर चर्चा होगी। यह कानून जल और वायु संरक्षण कानूनों की तर्ज पर बनेगा और इसका उल्लंघन करने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी होगा। साथ ही गंगा नदी बेसिन प्रबंधन के लिए एक स्थायी फंड बनाने का प्रावधान भी इस कानून में किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) की बैठक में प्रस्तावित कानून पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित गंगा बेसिन के पांच महत्वपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।
केंद्र ने 16 मार्च को केंद्रीय जल संसाधन सचिव की अध्यक्षता में एक अंतरमंत्रलयी समिति पुनर्गठित की है जो इस कानून के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार कर रही है। कानून बनाने का मकसद अविरल और निर्मल गंगा सुनिश्चित करना है।
सूत्रों ने कहा कि आइआइटी कंसोर्टियम, कई गैर सरकारी संगठनों और पूर्व नौकरशाहों ने अपने-अपने ढंग से विधेयक के मसौदे तैयार कर सरकार को सौंपे हैं। इनमें से एक मसौदा लोकसभा चुनाव में वाराणसी में मोदी के प्रस्तावक बने सेवानिवृत्त न्यायाधीश गिरिधर मालवीय के नेतृत्व में गंगा महासभा ने तैयार किया है।
इसी तरह पूर्व नौकरशाह एन. विट्टल ने भारतीय राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण-2014 शीर्षक से भी एक मसौदा तैयार किया है। सूत्रों ने कहा कि केंद्र ने इन विधेयकों की मुख्य बातों का अध्ययन किया है। इन्हें राज्यों के समक्ष रखा जाएगा और उनके सुझावों के अनुरूप विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गंगा के लिए अलग कानून बनाने की पहल पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने भी की थी। लेकिन उसकी यह कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी। संप्रग ने सात फरवरी 2014 को विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया था।
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