श्रम कानून संशोधन बिल राज्यसभा से हुआ पारित
पुराने श्रम कानूनों में बदलाव के मोदी सरकार के प्रयासों को सोमवार को बड़ी कामयाबी मिली। इस दिन वामदलों और जदयू के कड़े विरोध व बहिर्गमन के बीच श्रम कानून संशोधन विधेयक, 2011 को राज्यसभा ने पारित कर दिया। कांग्रेस सदस्यों ने मत विभाजन के वक्त कम उपस्थिति के जरिये
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। पुराने श्रम कानूनों में बदलाव के मोदी सरकार के प्रयासों को सोमवार को बड़ी कामयाबी मिली। इस दिन वामदलों और जदयू के कड़े विरोध व बहिर्गमन के बीच श्रम कानून संशोधन विधेयक, 2011 को राज्यसभा ने पारित कर दिया। कांग्रेस सदस्यों ने मत विभाजन के वक्त कम उपस्थिति के जरिये विधेयक पारित कराने में सरकार की मदद की। इसके कानून बनने पर 40 कर्मचारियों तक वाली छोटी फैक्ट्रियां 16 श्रम कानूनों से संबंधित रजिस्टर रखने और रिटर्न फाइल करने का काम इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कर सकेंगी।
राज्यसभा में हुए मत विभाजन में 49 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में, जबकि 19 ने खिलाफ मतदान किया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि विधेयक को लेकर कुछ गलत धारणाएं हैं। यह संशोधन केवल प्रक्रियाओं को सरल करने के लिए है। इसमें श्रमिकों के खिलाफ कुछ भी नहीं है। कानून बनने के बाद सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए और कदम उठा सकेगी। हमारी नीति श्रमिक हितैषी है। सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। संशोधन राष्ट्रहित में हैं। इनकी प्रक्रिया 2007 में प्रारंभ हुई थी। संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर ही यह बिल लाया गया है। कानून को लागू करते हुए सरकार पारदर्शिता, जवाबदेही तथा प्रवर्तन का ख्याल रखेगी। फैक्ट्रियों में हादसे की स्थिति में किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर यह कैसे पता चलेगा कि कर्मचारी फैक्ट्री में काम करता था, इस आशंका के जवाब में श्रम मंत्री ने कहा कि यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) से प्रत्येक कर्मचारी का रिकॉर्ड सरकार के पास रहेगा।
विधेयक पर किसने क्या कहा
इससे पहले विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने श्रमिकों, खासकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों पर पड़ने वाले असर को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा दंडात्मक उपबंध खत्म होने के बाद श्रमिक पूरी तरह मालिकों के रहमोकरम पर होंगे। वाद दलों की ओर से तपन सेन (माकपा) तथा डी राजा (भाकपा) का कहना था कि अब फैक्ट्रियों का निरीक्षण संभव नहीं होगा। जदयू के केसी त्यागी का कहना था कि बिल से श्रमिकों की दिक्कतों में और इजाफा होगा। सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र तथा तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने भी बिल का विरोध किया।
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