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    काले धन पर सदन में लहराईं काली छतरियां

    By anand rajEdited By:
    Updated: Wed, 26 Nov 2014 01:54 AM (IST)

    संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन क्षेत्रीय दलों ने अस्तित्व की लड़ाई लोकसभा के द्वार तक पहुंचा दी। काला धन जैसे राष्ट्रीय मुद्दे के बहाने तृणमूल कांग्रेस, जदयू और सपा जैसे उन दलों ने सरकार पर हमला किया, जो अपने-अपने राज्यों में भाजपा से जूझ रहे हैं। तृणमूल

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    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन क्षेत्रीय दलों ने अस्तित्व की लड़ाई लोकसभा के द्वार तक पहुंचा दी। काला धन जैसे राष्ट्रीय मुद्दे के बहाने तृणमूल कांग्रेस, जदयू और सपा जैसे उन दलों ने सरकार पर हमला किया, जो अपने-अपने राज्यों में भाजपा से जूझ रहे हैं। तृणमूल के सांसद तो काली छतरी के साथ 'काला धन वापस लाओ' की नारेबाजी करते हुए स्पीकर सुमित्रा महाजन की आसंदी तक जा पहुंचे, वहीं अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी तृणमूल और समाजवादी पार्टी का हंगामे में साथ दिया। सभी दलों ने आरोप लगाया कि सौ दिन के अंदर काला धन वापस लाने के वादे पर सरकार विफल हो गई है। हालांकि शोर-शराबे के बीच पूरा प्रश्नकाल चलाकर सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि विपक्ष के दबाव में आए बिना वह सही वक्त पर ही काला धन के मुद्दे पर चर्चा भी कराएगी और जवाब भी देगी। ऐसे संकेत हैं कि इस मामले में बुधवार को संसद में चर्चा हो सकती है।

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    क्षेत्रीय दलों ने किया विपक्ष का नेतृत्व

    हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों के बाद और झारखंड व जम्मू कश्मीर के चुनावों के बीच संसद में क्षेत्रीय दल अभी से कमर कसते दिखे। मंगलवार को कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष का नेतृत्व इन्हीं क्षेत्रीय दलों ने किया।

    तृणमूल की बौखलाहट दिखी

    सारधा चिटफंड मामले में उलझी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य विरोध स्वरूप काली छतरी लेकर सबसे आगे दिखे तो सपा, राजद और जदयू ने भी मोर्चा संभाला। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार काला धन के मुद्दे पर पूरी तरह विफल हो गई है। वादा किया था कि सौ दिनों में काला धन वापस आएगा। लेकिन वह वादा सिर्फ वादा था। सदन के वेल में आकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी नारे लगाए और तत्काल चर्चा की मांग की। कांग्रेस भी उन क्षेत्रीय दलों के साथ विरोध में खड़ी थी। गौरतलब है कि बंगाल में भाजपा के उदय से तृणमूल कांग्रेस परेशान है। चिटफंड मामले में कार्रवाई ने भी पार्टी नेतृत्व को बौखला दिया है।

    मजबूरी में हुए एकजुट

    दूसरी ओर जदयू बिहार में अपना अस्तित्व बचाने के लिए राजद के साथ हाथ मिला चुका है। लोकसभा चुनाव में पांच की संख्या तक सीमित हो गई सपा को आगे की लड़ाई सता रही है। कांग्रेस हरियाणा और महाराष्ट्र में सत्ता खो चुकी है और झारखंड तथा जम्मू कश्मीर में बेदखल होने की आशंका से पस्त है। संसद में काला धन के मुद्दे पर इन दलों की एकजुटता भी कुछ इसी परेशानी का इजहार कर रही थी।

    कांग्रेस राज में विदेश गया काला धन

    संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने पलटवार करते हुए कहा, 'जो भी काला धन विदेश गया, वह कांग्रेस के पिछले पचास वर्षों के शासन काल में ही गया। हमारे कार्यकाल में कोई भी काला धन बाहर नहीं जा सका है।' नायडू के अनुसार पिछले छह महीने में सरकार ने तमाम कदम उठाए हैं। सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन संसद का कामकाज रोक कर सरकार, विपक्ष को मनमानी करने नहीं देगी। पहले लगभग आधे घंटे तक लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शोर-शराबे में प्रश्नकाल चलाया। बाद में सदन की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित हो गई।

    राज्य सभा में भी हंगामा

    राज्य सभा की कार्यवाही प्रारंभ होते ही तृणमूल, सपा और जदयू के सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए शोर-शराबा शुरू कर दिया। लेकिन यहां सदन की कार्यवाही स्थगित करने की नौबत नहीं आई।

    आज होगी चर्चा

    आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार बुधवार को काले धन पर चर्चा करा सकती है। लेकिन सत्ताधारी खेमा इस विषय पर अल्पकालिक चर्चा कराने के पक्ष में बताया जा रहा है।

    'सरकार ने सौ दिनों के भीतर काला धन लाने का वादा किया था। अब तो दो सौ दिन होने को हैं। मोदी बताएं, काला धन कहां है।' -डेरेक ओ ब्रायन, तृणमूल नेता

    'सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। हम इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।' -वेंकैया नायडू, संसदीय कार्य मंत्री

    'मोदी और भाजपा ने संप्रग सरकार को काले धन पर बदनाम किया था। अब पीएम काला धन वापस क्यों नहीं लाते?' -मल्लिकार्जुन खडग़े, कांग्रेस नेता

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