जानिए, नई राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति के बारे में 10 खास बातें
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की पहली राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति को अपनी मंजूरी दे दी है।

नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति को मंजूरी दे दी। इसे सृजनात्मकता और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने तथा ट्रेडमार्क पहचान की रक्षा के लिए बनाया गया है।
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आईपीआर के 10 प्रमुख बिंदु:
-2014 में नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री का कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही अमेरिकी कंपनियों के नेतृत्व में वैश्विक दवा कंपनियां भारत की बौद्धिक संपदा नियमों में परिवर्तन के लिए सरकार पर दवाब बना रही थी। वैश्विक द्वा कंपिनयों को अक्सर भारत के मूल्य नियंत्रण और विपणन प्रतिबंधों को लेकर शिकायत रही है।
-पिछले माह अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने भारत, चीन और रूस से आईपीआर संरक्षण में सुधार को लेकर बातचीत की थी।
-हालांकि, आईपीआर पर अमेरिकी चिंताओं को नजरदांज करते हुए सरकार ने कहा कि हमारा नया बौद्धिक संपदा अधिकार कानून कानूनी न्यायसंगत है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट करते हुए कहा था, "दवाओं की कीमतों को काबू में रखने के लिए 'स्वास्थ्य संबंधी विचारों के साथ पेंटेट कानूनों का संतुलन' बनाना जरूरी है। कई देशों में दवाओं की कीमतें अधिक हैं। लेकिन जीवनरक्षक दवाओं को बाजिब कीमत पर आम नागरिकों की पहुंच में होना चाहिए।"
-इस प्रकार सरकार अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों द्वारा की जा रही पेटेंट कानून में संशोधन की मांग के दवाब में नहीं आई।
-वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने जानकारी दी थी कि भारत के चार पेंटेट कार्यालयों में लगभग 237,000 से ज्यादा आवेदन लंबित पड़े थे।
-आईपीआर नीति विभिन्न कानूनों के तहत कर लाभों द्वारा अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना चाहती है।
-नई नीति के 2017 से लागू होने के बाद किसी भी ट्रेडमार्क के पंजीकरण में महज एक महीने का समय लगेगा, पहले इसमें चार माह का समय लगता था।
-भारत का बौद्धिक संपदा अधिकार कानून व्यापक और विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है। नई बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को लागू करने में कानून में किसी प्रकार के बदलाव की जरूरत नहीं होगी।
-देश में नई नीति की देख रेख का कार्य सरकार के औद्योगिक नीति संवर्धन विभाग द्वारा किया जाएगा।
-आईपीआर नीति को आईपी मालिकों या कम आय वाले समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है। जैसे- किसानों, बुनकरों और कारीगरों को ग्रामीण बैंक या सहकारी बैंकों जैसे वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से आईपी के अनुकूल ऋण की पेशकश।

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