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कैबिनेट से IPR नीति को मंजूरी, 2017 तक एक महीने में मिलेगा ट्रेड मार्क

केंद्र सरकार ने नेशनल इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स बिल को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री ने कहा कि इसका मकसद लोगों में जागरुकता पैदा करना है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 13 May 2016 01:52 PM (IST)Updated: Fri, 13 May 2016 06:35 PM (IST)
कैबिनेट से IPR नीति को मंजूरी, 2017 तक एक महीने में मिलेगा ट्रेड मार्क

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कई वर्षो के वाद विवाद के बाद अंतत: भारत में भी एक आधुनिक व विश्वस्तरीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) नीति लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय बौद्रिक संपदा अधिकार नीति को मंजूरी दे दी। सरकार का दावा है कि यह नीति न सिर्फ देश में नया ईजाद करने वाले और अपने अपने क्षेत्र में रचनात्मकता रखने वालों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा बल्कि नये नियमों से विश्व व्यापार संगठन के तहत भारत ने दुनिया से जो वादे किये हैं उसे भी पूरा करेगा। देश में एक आधुनिक व विश्वस्तरीय बौद्धिक नीति होगी जिससे विदेशी कंपनियों के रचनात्मक उत्पादों व सेवाओं की रक्षा होगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि नई नीति का एक अहम उद्देश्य होगा कि समाज के हर वर्ग को आइपीआर के बारे में बताना। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोशिश की है कि बौद्धिक संपदा से जुड़े हर पक्ष की बातों को सुनने के बाद नई नीति बनाई है जिसमें हर पक्ष के साथ न्याय करने की कोशिश की गई है। यह आने वाले दिनों में देश में रचनात्मकता को बढ़ावा देगा ताकि नई सोच व नई कोशिशों को पूरा सम्मान व पुरस्कार मिल सके। अब लोगों की रचनात्मकता प्रयासों का गलत फायदा कोई दूसरा नहीं उठा सकेगा। भारत ने कई देशों की मौजूदा आइपीआर नीतियों से सीखने के बाद अपनी नति बनाई है। ऐसे में यह डब्लूटीओ की ट्रिप्स व दोहा दौरे के समझौते में जो मानक बनाये गये थे उनका भी पालन करते हैं।

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जेटली ने कहा है कि नई नीति का मकसद साफ है कि जब कोई व्यक्ति यहां इजाद करे तो यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई दूसरा या तीसरा पक्ष उसका गलत तरीके से वाणिज्यिक इस्तेमाल नहीं कर सके। कोई किसी दूसरे व्यक्ति की रचनात्मकता या खोज को चुरा नहीं सके। यह ट्रेडमार्क पंजीयन का आधुनिक परंपरा भारत में डालेगा।जेटली ने बताया कि नये नियम के लागू होने को लेकर सात उद्देश्य बनाये गये हैं। इसमें पहला आइपीआर को लेकर जागरुकता फैलाने, दूसरा ज्यादा से ज्यादा आईपीआर मामले का पंजीयन करने, तीसरा आइपीआर की सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करना, देश में आइपीआर के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देना, आइपीआर का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ढांचा तैयार करना और अंतिम देश में प्रशिक्षित आइपीआर प्रोफेशनल्स को तैयार करना है।

यह देश में सरकारी, गैर सरकारी, शैक्षणिक स्तर पर होने वाले नए शोध व उद्यमों को बढ़ावा देगा। इससे उद्यमशीलता को भी बढ़ावा मिलेगा। देश में भौगोलिक तौर पर पहचान जाने वाले उत्पादों या सेवाओं की अब ज्यादा बेहतर तरीके से सुरक्षा की जा सकेगी। मसलन, बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय या कांजीवरम साड़ी का ज्यादा मजबूती से सुरक्षा हो सकेगी। देश में मजबूत आइपीआर नीति लागू करने के फैसले को पीएम नरेंद्र मोदी की अगले महीने होने वाले अमेरिका यात्रा से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। अमेरिका मोदी को एक पुराने आइपीआर वाले देश के तौर पर चिन्हित कर रखा है। खास तौर पर फार्मास्यूटिकल्स के मामले में दोनों देशों के बीच काफी ज्यादा विवाद रहा है। यही वजह है कि अमेरिका ने चीन व भारत को आइपीआर उल्लंघन के मामले में प्राथमिकता वाली सूची में डाल रखी है। अब इसमें सुधार होने की संभावना है।

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