दिल्ली में अभी नहीं थमेगी अधिकारों की 'जंग'!
अधिकारों को लेकर जारी 'जंग' में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से दोहरा झटका खाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल अपने कदम पीछे खींचेंगे इसमें संदेह है। सियासी पंडितों का माना है कि अरविंद केजरीवाल की फितरत हार मानने वालों में नहीं है। वह कोर्ट से मिले दोहरे झटके से भी
नई दिल्ली। अधिकारों को लेकर जारी 'जंग' में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से दोहरा झटका खाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल अपने कदम पीछे खींचेंगे इसमें संदेह है।
सियासी पंडितों का माना है कि अरविंद केजरीवाल की फितरत हार मानने वालों में नहीं है। वह कोर्ट से मिले दोहरे झटके से भी जल्द उबरेंगे और अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे। विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी [आप] ने सत्ता में आने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने का वादा किया था। जिसको लेकर वह झुकने को तैयार नहीं दिख रही है।
शकुंलता गैमलीन पर दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग से केजरीवाल सरकार का लगातार उलझना या केंद्रीय गृहमंत्रालय के नोटिफिकेशन को लेकर विधानसभा का दो दिवसीय आपात सत्र बुलाना यह दर्शाता है कि आने वाले दिनों में केंद्र और दिल्ली में तकररार जारी रहेगी।
सियासी पंडितों के मुताबिक लोकसभा चुनाव में मात्र 4 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी [आप] की नजर अब दिल्ली की सत्ता के माध्यम से पूरे देश में जड़ें जमाने की है। 'आप' कुनबे में पड़ी फूट और उस दौरान हुई पार्टी की फजीहत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अब हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। दिल्ली विधानसभा के आपात सत्र में मोदी सरकार पर तीखा हमला उनकी दूरगामी रणनीति का ही हिस्सा था।
इस दौरान उन्होंने उपराज्यपाल नजीब जंग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की। एक तरफ जहां उन्होंने जंग के माध्यम से नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा वहीं, अन्य गैर भाजपाशासित राज्यों से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने उस दौरान केंद्र सरकार पर तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया।
सियासी पंडितों का मानना है कि शकुंतला गैमलीन मुद्दे को भ्रष्टाचार से जोडऩा यह भी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। जिसके माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की गई कि मोदी सरकार भी तबादला नीति में व्याप्त भ्रष्टाचार से अछूती नहीं है और ऐसे ही भ्रष्ट प्रशासन से आप सरकार दिल्लीवासियों को मुक्ति दिलाना चाहती है। दिल्लीवासियों की सुविधाओं और उनके अधिकारों को माध्यम बना केजरीवाल आने वाले समय में केंद्र पर लगातार हमलावर रहेंगे।