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    न्याय कोई सामान नहीं जो सबसे ऊंची बोली लगाने पर मिले

    By Sachin kEdited By:
    Updated: Mon, 19 Jan 2015 10:09 AM (IST)

    देश के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू ने मुकदमों की बढ़ती लागत व अदालतों में लाखों केस लंबित होने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि न्याय कोई सामान नहीं है, जो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ही मिले। न्यायमूर्ति दत्तू ने ऐसे कदम उठाने को कहा है, जिनसे लोगों

    जोधपुर। देश के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू ने मुकदमों की बढ़ती लागत व अदालतों में लाखों केस लंबित होने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि न्याय कोई सामान नहीं है, जो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ही मिले। न्यायमूर्ति दत्तू ने ऐसे कदम उठाने को कहा है, जिनसे लोगों की न्याय तक आसान पहुंच हो सके।

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    वे यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों में 1.25 करोड़ से ज्यादा केसों का निपटारा, इस बात का संकेत है कि कई लोग न्याय से वंचित हैं। लोक अदालतों में निपटे केसों की संख्या अदालतों में सुलझे केसों से दोगुने से ज्यादा है। न्याय के लिए बढ़ते खर्च की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मुकदमा लडऩा या अपना बचाव करना भी महंगा होता जा रहा है।

    कोर्ट अंतिम विकल्प होः
    सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मुकदमे के जरिये न्याय की आस में आने वाला फरियादी खुद दुर्दशा का शिकार हो रहा है। आज की न्याय व्यवस्था की यह कठोर सच्चाई है। मेरा मानना है कि कोर्ट में पहुंचने के पूर्व सद्भावनापूर्वक विवाद हल कर लेना ही सबसे प्रभावी तरीका है।

    कोर्ट अंतिम विकल्प होना चाहिए। न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि जब तक देश के सारे जज व वकील एकजुट नहीं होंगे, तब तक देश की न्याय व्यवस्था लंबित मुकदमों के बोझ तले दबी रहेगी।

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