खंडपीठ पर राय देने से मुख्य न्यायाधीश का इन्कार
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के पत्र पर पश्चिम में खंडपीठ के बाबत राय देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड़ ने इन्कार कर दिया है। उन्होंने विधि मंत्रालय को पत्र भेजकर साफ कर दिया है कि चूंकि राज्य सरकार की ओर से उन्हें इस बारे में
लखनऊ। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के पत्र पर पश्चिम में खंडपीठ के बाबत राय देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड़ ने इन्कार कर दिया है। उन्होंने विधि मंत्रालय को पत्र भेजकर साफ कर दिया है कि चूंकि राज्य सरकार की ओर से उन्हें इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, इसलिए कोई राय दिया जाना संभव नहीं है। उन्होंने न्यायमूर्ति विनीत सरन की अध्यक्षता में बनी पांच जजों की कमेटी भंग कर दी है।
बतौर विधि मंत्री अपने कार्यकाल में रवि शंकर प्रसाद ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर पश्चिम में खंडपीठ के बाबत राय मांगी थी। उन्होंने अपने पत्र में पूर्व विधि मंत्री कपिल सिब्बल के लिखे पत्र का हवाला भी दिया था। इस पत्र के सार्वजनिक हो जाने के बाद अधिवक्ताओं के आंदोलन ने और तूल पकड़ लिया और हाईकोर्ट बार की ओर से 45 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात भी की थी। उन्होंने बताया था कि राय देने के लिए पांच जजों की कमेटी बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष न्यायामूर्ति विनीत सरन हैं। कमेटी ने आश्वस्त किया था कि बार को विश्वास में लिए बिना कोई रिपोर्ट नहीं भेजा जाएगी। गुरुवार को भी अधिवक्ता आंदोलनरत रहे और उन्होंने यह प्रस्ताव पारित किया कि चूंकि कई मुख्य न्यायामूर्ति खंडपीठ से इन्कार कर चुके हैं, इसलिए इसी आधार पर मुख्य न्यायाधीश भी केंद्रीय मंत्री के पत्र का जवाब दें। महानिबंधक प्रत्यूष कुमार ने बताया कि इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार को नौ जजों की प्रशासनिक कमेटी की बैठक बुलाई थी। इसमें विधि मंत्रालय को पत्र भेजने का फैसला किया गया।
महानिबंधक के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने विधि मंत्रालय को भेजे अपने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ के संबंध में कोई प्रस्ताव न मिलने के कारण गठित कमेटी भंग की जा रही है। चूंकि राज्य सरकार ने कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, इसलिए कोई राय दिया जाना संभव नहीं है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की बैठक में भी यह मुद्दा रखा जाएगा। इसके बाद हड़ताल समाप्त किए जाने पर भी विचार किया जा सकता है।
न्यायिक क्षेत्र मुरादाबाद स्थानांतरित
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में लंबे समय से चल रही हड़ताल के मद्देनजर वहां का न्यायिक क्षेत्र मुरादाबाद स्थानांतरित कर दिया है। अब मेरठ क्षेत्र के मुकदमे मुरादाबाद में सुने जाएंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।