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जानें कैसे भारत के लिए अहम है F-16 निर्माण के लिए टाटा-मार्टिन का साथ आना

इस समय दुनिया के 26 देशों में करीब 3200 एफ-16 विमान मौजूद हैं। यह चौथी पीढ़ी का एक इंजन वाला सुपरसोनिक मल्टीरोल फाइटर विमान है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 12:26 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 09:56 AM (IST)
जानें कैसे भारत के लिए अहम है F-16 निर्माण के लिए टाटा-मार्टिन का साथ आना
जानें कैसे भारत के लिए अहम है F-16 निर्माण के लिए टाटा-मार्टिन का साथ आना

नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की यात्रा से पहले अमेरिकी विमान कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में ही एफ-16 लड़ाकू विमान बनाने की घोषणा की है। भारत के लिए यह बेहद खास पल है। इस काम मे अमेरिकी कंपनी का साथ देश का सबसे नामी टाटा समूह देगा। पेरिस एयरशो के दौरान इसका ऐलान किया गया है। दोनों कंपनियों के संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘भारत में एफ-16 के उत्पादन से अमेरिका में लॉकहीड मार्टिन और उसके आपूर्तिकर्ताओं को नौकरियां बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस करार से भारत में भी नई नौकरियां पैदा होंगी। इस सौदे के तहत लॉकहीड टेक्सास के अपने फोर्ट वर्थ कारखाने को भारत स्थानांतरित करेगी। भारत को इस सीरीज का ब्लॉक 70 ऑफर किया जा रहा है जो सबसे नया मॉडल है।

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रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा

इससे देश के निजी क्षेत्र में रक्षा उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इसके पहले टीएएसएल ने सी-1390 जेड विमान के लिए एयरफ्रेम कम्पोनेंट बनाया है। इसके अलावा टाटा पहले से ही C-130 मिलिटरी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के कंपोनेंट बना रहा है। दोनों कोंपनियों की तरफ से यह भी कहा गया है की यह सौदा भारतीय वायुसेना की एक इंजन वाले लड़ाकू विमान की मांग को पूरा करने के अनुकूल है। इस समझौत की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब 25 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक के लिए अमेरिका जा रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात 26 जून को होनी है।


कई मायनों में अहम है डील 

यह डील इस लिहाज से अहम है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत वहां की कंपनियों को वहीं निवेश बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, ताकि अमेरिकियों के लिए जॉब के ज्यादा से ज्यादा नए मौके बन सकें। दूसरी तरफ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने महत्वाकांक्षी अभियान 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत में ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश और उत्पादन पर जोर दे रहे हैं। भारत काफी समय से डिफेंस से जुड़े उपकरणों की डील्स के लिए 'मेक इन इंडिया' पर जोर दे रहा था। भारतीय एयर फोर्स अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े को जल्द बदलना चाहता है। अभी भारत के पास पुराने हो चुके सोवियत जमाने के लड़ाकू विमान हैं। गौरतलब है कि रूस और इजरायल के बाद अमेरिका भारत को सबसे ज्यादा आर्म्स सप्लाइ करने वाला तीसरा देश बन गया है। 

 

नहीं होगी छंटनी 

इस करार के बावजूद अमेरिका में कंपनी किसी तरह की कोई छटनी नहीं करेगी। इस करार का यह दूसरा अच्छा पहलू है। अभी तक यह कंपनी अपने विमान अमेरिका में ही बनाती है। इस करार का जो तीसरा अहम पहलू है वो ये है कि इन विमानो को यहां से दूसरे देशों में भी बेचा जा सकेगा। भारत क्योंकि अपनी वायु सेना की क्षमता में इजाफा करने की बात कह चुका है तो कंपनी को उम्मीद है कि यहां से उसे विमानों के ऑर्डर मिल सकते हैं। लेकिन भारत के लिहाज से यह करार हर तरह से ही फाईदेमंद है। हालांकि एफ-16 लड़ाकू विमानों को इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया जाएगा या नहीं, ये बाद में तय होगा। क्योंकि एफ-16 का इस्तेमाल भारत का चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान भी करता है।

दुनिया के बेहतरीन जेट मे से एक

इस समय दुनिया के 26 देशों में करीब 3200 एफ-16 विमान मौजूद हैं। यह चौथी पीढ़ी का एक इंजन वाला सुपरसोनिक मल्टीरोल फाइटर विमान है। इसकी अधिकतम गति 2,400 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसके अलावा इसका रडार सिस्टम और जीपीएस नैविगेशन सिस्टम काफी उन्नत है। एफ-16 विमान की खासियत है कि यह किसी भी मौसम में काम कर सकता है। यह लड़ाकू विमान दुनिया के बेहतरीन जेट मे से एक है। हालांकि एफ-16 विमान दुनिया में चौथी पीढ़ी के विमानों में सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं। एफ-16 मैक 1.2 की गति से उड़ता है और दुनिया के तमाम युद्धक्षेत्रों में अपनी उपयोगिता साबित कर चुका है।

भारत की जरूरत 

भारतीय वायुसेना का पास फिलहाल ज़्यादातर विमान पुराने हो चुके हैं, जिनको यदि समय रहते नहीं बदला गया तो भारत की वायु सेना की ताकत खत्म हो जाएगी। सरकार की नीति के तहत विदेशी कंपनियां यदि भारत को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करती हैं तो इसके लिए उन्हें ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में निर्माण करना होगा। 

खाड़ी युद्ध मे साबित कर चुके हैं क्षमता

गौरतलब है कि अमेरिकी एफ-16 लड़ाकू विमानों को दुनिया के सबसे विध्वंशक लड़ाकू विमानों में से गिना जाता है। खाड़ी युद्ध के समय एफ-16 विमानों की मौजूदगी से डरे इराकी एयरफोर्स के विमानों ने आसमान में उड़ान भरने से ही मना कर दिया था। इसके बाद अमेरिकी विमानों ने इराकी रक्षा पंक्ति को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था। यही नहीं, लीबिया में सीमित हमलों, अफगानिस्तान युद्ध के समय भी एफ-16 अपना जौहर यूएस आर्मी के लिए दिखा चुके हैं, तो इजरायली एयरफोर्स ने तमाम युद्धों में दुश्मन देशों के दांत खट्टे करने के लिए एफ-16 का उपयोग किया था।

स्वीडन भी बेचना चाहता है विमान

इसके अलावा स्वीडन की कंपनी साब भी भारतीय एयरफोर्स को ग्रीपन फाइटर जेट बेचना चाहती है। साब भी भारत में विमानों का उत्पादन करने के लिए राजी है। हालांकि कंपनी ने अभी भारतीय पार्टनर का नाम सार्वजनिक नहीं किया है। भारत की योजना पहले डसॉल्ट के साथ मिलकर भारत में डबल इंजन वाले 126 राफेल विमान बनाने की थी, लेकिन बातचीत सफल नहीं हो सकी।

टाटा संस का बयान 

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा, 'यह समझौता लॉकहीड मार्टिन व टाटा के बीच पूर्व स्थापित संयुक्त उद्यम पर बना है। यह दोनों कंपनियों के आपसी रिश्तों व प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। लॉकहीड मार्टिन का दावा है कि एफ-16 ब्लॉक 70 उसका सबसे नया और सबसे उन्नत उत्पाद है

एयरफोर्स के पूरे बेड़े को बदलने की तैयारी

दरअसल भारत में अब तक ज्यादातर लड़ाकू विमान सोवियत संघ रूस से लिए गए हैं। इसमें भी पुराने हो चुके मिग विमान लगातार दुर्घटना के शिकार होते रहे हैं। लिहाजा सरकार अब एयरफोर्स के बेड़े को पूरी तरह बदलने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीद की भी डील की है। चीन और पाकिस्तान को देखते हुए यह काफी जरूरी भी हैं।


एयरफोर्स की मांग

लंबे समय से ये सवाल उठ रहा था कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के हिसाब से निर्माण क्यों नहीं करता। इस दिशा में केवल तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों का निर्माण देश में होता है। भारतीय एयरफोर्स को 45 ऑपरेशनल स्क्वॉड्रन की जरूरत है, लेकिन अभी 32 ही ऑपरेशन में हैं। यह बात इसलिए भी अहम है क्योंकि वायु सेना की तरफ से ये बात पहले भी काही जा चुकी है कि अगर पाकिस्तान और चीन के साथ एक साथ युद्ध की स्थिति आती है तो भारतीय वायुसेना के पास जरूरी क्षमता का संकट है।

अमेरिका सहित दुनिया के 26 देशों में इस्तेमाल हो रहे F-16 विमान की ये है खासियत

1. F-16 फाइटर फलकॉन, एक इंजन वाला सुपरसोनिक मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। 

2. 4th जनेरेशन का सबसे आधुनिक फाइटर जेट है। 

3. सबसे एडवांस रडार सिस्टम है। 

4. उम्दा GPS नैविगेशन भी इसकी खासियत है। 

5. एडवांस हथियार से लैस, इस एयरक्राफ्ट में एडवांस स्नाइपर टारगेटिंग पॉड भी है। 

7. F-16 की अधिकतम गति 1,500 मील प्रति घंटे है। 

8. यह एयरक्राफ्ट किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। 

9. इसमें फ्रेमलेस बबल कॉनोपी है, जिससे देखने में सुविधा होती है। 

10. सीटें 30 डिग्री पर मुड़ी हैं, जिससे पॉयलट को g-फोर्स की अनुभूति कम होती है। 

11. अमेरिका और अन्य 25 देश कर रहे हैं इसका इस्तेमाल। 

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