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इसरो एक साथ पांच विदेशी उपग्रह भेजेगा अंतरिक्ष में

इसरो और इसके वाणिज्यिक उपक्रम एंट्रिक्स मिलकर अब तक का सबसे बड़ा वाणिज्यिक प्रक्षेपण करने जा रहे हैं। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के उन्नत संस्करण (पीएसएलवी-एक्सएल) के जरिये 10 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पांच विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 07:32 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 07:46 PM (IST)
इसरो एक साथ पांच विदेशी उपग्रह भेजेगा अंतरिक्ष में

बेंगलुरु । इसरो और इसके वाणिज्यिक उपक्रम एंट्रिक्स मिलकर अब तक का सबसे बड़ा वाणिज्यिक प्रक्षेपण करने जा रहे हैं। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के उन्नत संस्करण (पीएसएलवी-एक्सएल) के जरिये 10 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पांच विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

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इन पांचों उपग्रहों का कुल वजन लगभग 1440 किलोग्राम है। इसरो के अनुसार, यह अभियान एंट्रिक्स/इसरो का अब तक का सबसे भारी वाणिज्यिक अभियान होगा। पीएसएलवी-सी 28 अपनी 13वीं उड़ान के तहत ब्रिटेन के सरे सेटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीए) द्वारा निर्मित पृथ्वी के खास क्षेत्र पर नजर रखने वाले तीन एक तरह के डीएमसी 3 उपग्रह प्रक्षेपित करेगा। ऐसे उपग्रह धरती से निर्देश देने पर किसी खास क्षेत्र की तस्वीरें लेने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इन उपग्रहों में प्रत्येक का वजन 447 किलोग्राम है। इन्हें 647 किलोमीटर दूर सन सिनक्रोनस ऑर्बिट (एसएसओ) यानी सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

इसके अलावा ब्रिटेन के ही दो और उपग्रह हैं। एक माइक्रो सेटेलाइट सीबीएनटी-1 है जिसे एसएसटीएल ने ही बनाया है। यह पृथ्वी पर नजर रखने वाले अत्यंत छोटे सेटेलाइट की तकनीक प्रदर्शित करने के लिए है। इसके अलावा सरे अंतरिक्ष केंद्र द्वारा ही अत्यंत सूक्ष्म नैनो सेटेलाइट की तकनीक प्रदर्शित करने के लिए डिऑर्बिटसेल नाम का उपग्रह भेजा जा रहा है।

डीएमसी 3 उपग्रहों में प्रत्येक की ऊंचाई करीब तीन मीटर है। इतने वजन के साथ पीएसएलवी का प्रक्षेपण एक चुनौती है।

इन उपग्रहों को लांचर पर चढ़ाने के लिए इसरो ने दो खास तरह के एडॉप्टर तैयार किए हैं। डीएमसी इंटरनेशनल इमेजिंग (डीएमसीआइआइ) और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लि. के बीच हुए करार के तहत इन उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जा रहा है। डीएमसीआइआइ एसएसटीएल की पूर्ण स्वामित्ववाली कंपनी है। डीएमसी 3 समूह में डीएमसी 3-1, डीएमसी 3-2 और डीएमसी 3-3 तीन उन्नत किस्म के लघु उपग्रह हैं। इनका निर्माण इस तरह से किया गया है कि इससे धरती के किसी हिस्से की जल्द से जल्द बेहतरीन गुणवत्ता वाली (स्पष्टता के मामले में अधिक मेगा पिक्सल वाली) तस्वीर प्राप्त हो सके। ये सेटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से की तस्वीर हर दिन ले सकते हैं। इनका उपयोग मुख्य रूप से धरती के संसाधनों व पर्यावरण सर्वेक्षण, शहरी सुविधाओं का प्रबंधन और आपदा पर नजर रखने के लिए किया जाना है। सीबीएनटी-1 का वजन 91 किलोग्राम है। डिआर्बिटसैल उपग्रह का वजन मात्र 7 किलोग्राम है। भारत वाणिज्यिक प्रक्षेपण करने वाला चौथा प्रमुख देश है।

प्रक्षेपण एक नजर में

प्रक्षेपण यान - पीएसएलवी (एक्सएल)

इसरो की सेवा लेने वाला देश - ब्रिटेन।

भेजे जाने वाले कुल उपग्रह : - पांच ।

कुल वजन - 1440 किलोग्राम।

तीन छोटे उपग्रह- 447-447 किलोग्राम के।

एक माइक्रो उपग्रह- वजन 91 किलोग्राम ।

एक नैनो उपग्रह - वजन 7 किलोग्राम।

पुर्नोपयोगी उपग्रह का परीक्षण जुलाई में

खगोल अध्ययन करने वाला इसरो का उपग्रह तैयार


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