पुर्नोपयोगी उपग्रह का परीक्षण जुलाई में
केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि भारत पुर्नोपयोगी उपग्रह का अगले महीने परीक्षण करेगा। इस नई तकनीक के जरिए सेटेलाइट प्रक्षेपित करने की लागत में कमी आएगी। इसके अलावा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) इसी साल सितंबर में एस्ट्रोसेट नामक सेटेलाइट का भी प्रक्षेपण किया है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि भारत पुर्नोपयोगी उपग्रह का अगले महीने परीक्षण करेगा। इस नई तकनीक के जरिए सेटेलाइट प्रक्षेपित करने की लागत में कमी आएगी। इसके अलावा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) इसी साल सितंबर में एस्ट्रोसेट नामक सेटेलाइट का भी प्रक्षेपण किया है। ये भारत का पहला उपग्रह होगा जो पूरी तरह से ज्योतिष शास्त्र को समर्पित होगा।
इसरो के अध्यक्ष एएस किरन कुमार ने बताया कि पुन:उपयोग उपग्रह का निर्माण अभी शुरुआती दौर में है। अभी बहुस्तरीय परीक्षण होने बाकी हैं। इसका पहला प्रक्षेपण जुलाई में होगा। इससे लागत में दस फीसद की कमी आएगी। इस लांच वेह्किल को पहले प्रयास में महासागर में और फिर अगली बार श्रीहरिकोटा की वायु पट्टी पर उतारने की कोशिश होगी।
अगले साल दो उपग्रहों का प्रक्षेपण
राजग सरकार की अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक साल की उपलब्धियों पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत अगले साल इंडियन रीजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (आइआरएनएसएस) श्रृंखला के दो उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा। उसके अगले साल में इसी श्रृंखला के तीन और उपग्रहों का प्रक्षेपण होगा।
एक साल में 11 प्रक्षेपण
उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में अंतरिक्ष विभाग ने 11 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया है। एस्ट्रोसेट उपग्रह के परीक्षण में देरी इस वजह से हुई कि उसके एक पेलोड के एक उपकरण को लेकर समस्या थी।
चंद्र अभियान में और तीन साल
अंतरिक्ष सचिव कुमार ने बताया कि देश का चंद्र अभियान के लिए सेटेलाइट के प्रक्षेपण में अभी और तीन साल लगेंगे।
मॉम से तस्वीरें मिलीं
मार्स आर्बिटर मिशन (मॉम) से मंगल ग्रह की तस्वीरें मिली हैं। इसरो इन तस्वीरों का अध्ययन और विश्लेषण कर रहा है। यह काम पूरा होने पर खोज को सार्वजनिक किया जाएगा। कुमार ने बताया कि इसरो इस मसले पर नासा के साथ मिलकर काम कर रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।