मोदी को पीएम पद पर देखना चाहता है कॉरपोरेट जगत
देश के दिग्गज उद्योगपति कई मौकों पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत करते रहे हैं। कॉरपोरेट जगत पर किए गए एक सर्वे में भी अब यह बात सामने आई है कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने में मोदी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बेहतर साबित हो सकते हैं। विभिन्न कंपनियों के सीईओ पर किए इस
नई दिल्ली। देश के दिग्गज उद्योगपति कई मौकों पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत करते रहे हैं। कॉरपोरेट जगत पर किए गए एक सर्वे में भी अब यह बात सामने आई है कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने में मोदी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बेहतर साबित हो सकते हैं। विभिन्न कंपनियों के सीईओ पर किए इस सर्वे में करीब 75 फीसद उन्हें इस पद पर काबिज होते देखना चाहते हैं।
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शोध फर्म नील्सन द्वारा शुक्रवार को जारी सर्वे रिपोर्ट में केवल सात फीसद सीईओ कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में हैं। वहीं, मनमोहन की इस पद पर दोबारा वापसी अब कॉरपोरेट जगत नहीं चाहता है। देश की अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालत के लिए कंपनियों के मुखिया सरकार के कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पिछले वित्त वर्ष में विकास दर के दशक के सबसे निचले स्तर पहुंचने के बाद अब चालू वित्त वर्ष 2013-14 में भी इसके और नीचे जाने की आशंका है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 4.4 फीसद पर सिमट गई है। बाकी तिमाहियों में भी बहुत ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है। 42 फीसद सीईओ को ही लग रहा है कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस साल पांच फीसद से ज्यादा रहेगी।
सर्वे में ज्यादातर सीईओ ने विकास दर को पटरी पर लाने के लिए मजबूत नेतृत्व की वकालत की है। उनका कहना है कि अब देश को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो नीतियों में सुधार के सूखे को दूर करे, तुरंत फैसले ले और उस पर अमल करे। इस मामले में नरेंद्र मोदी राहुल गांधी से कई आगे हैं। इंडिया इंक अब तक उन्हें निवेशक फ्रेंडली मुख्यमंत्री के तौर पर मानता रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर भी उनसे ऐसी ही उम्मीद कॉरपोरेट जगत को है। हालांकि, अभी तक इन दोनों नेताओं को उनकी पार्टी की ओर से औपचारिक तौर पर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है।
नील्सन ने यह सर्वे एक अगस्त से इस महीने की शुरुआत के बीच की है। इसमें 500 करोड़ रुपये से ज्यादा कारोबार वाली कंपनियों के सौ सीईओ को शामिल किया गया। सर्वे में ज्यादातर कंपनी प्रमुखों ने स्थिर सरकार की जरूरत बताई है ताकि सुधारों को रफ्तार दिया जा सके। मगर चुनाव पूर्व तमाम अनुमानों में न तो भाजपा को और न ही कांग्रेस को बहुमत मिलता नजर आ रहा है। निवेशकों को चिंता है कि अगर क्षेत्रीय पार्टियों के गठजोड़ से तीसरे मोर्च की सरकार बनी तो यह लंबे समय तक चल नहीं पाएगी।
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