एक स्थान पर नहीं रह पाएंगे रेलवे अफसर
अब रेलवे बोर्ड की नई तबादला नीति के तहत रेलवे अफसर एक ही शहर में खासतौर से आठ प्रमुख स्टेशनों पर पूरी नौकरी नहीं काट सकेंगे। ऐसे अफसरों को जल्द ही अपनी नई पोस्टिंग के लिए तैयार रहना पड़ सकता है। रेलवे बोर्ड के संयुक्त सचिव ने ग्रुप ए अफसरों की नई तबादला नीति पर देश भर के रेलवे अफसरों से राय
लखनऊ [अंशू दीक्षित]। अब रेलवे बोर्ड की नई तबादला नीति के तहत रेलवे अफसर एक ही शहर में खासतौर से आठ प्रमुख स्टेशनों पर पूरी नौकरी नहीं काट सकेंगे। ऐसे अफसरों को जल्द ही अपनी नई पोस्टिंग के लिए तैयार रहना पड़ सकता है। रेलवे बोर्ड के संयुक्त सचिव ने ग्रुप ए अफसरों की नई तबादला नीति पर देश भर के रेलवे अफसरों से राय मांगी है।
नई तबादला नीति अगर लागू होती है तो उन अफसरों पर गाज गिरनी तय है जो लखनऊ मंडल, फिर इरिटम, आरडीएसओ, कारखाने, आइआरसीटीसी व अन्य रेलवे से जुड़ी विंग में अपनी नौकरी लंबे समय से काट रहे हैं।
लखनऊ में कई अफसर ऐसे हैं जो एक-एक सीट पर अपने कार्यकाल से ज्यादा का समय काट चुके हैं। कुछ अफसर ऐसे हैं जो लखनऊ का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। चार साल लखनऊ मंडल, फिर आरडीएसओ, फिर प्रमोशन हुआ तो फिर मंडल कार्यालय और फिर इरिटम व अन्य उत्पादन इकाइयों में काम करके आधी से ज्यादा नौकरी काट रहे हैं। वहीं गु्रप बी अफसरों को ज्यादा नहीं छेड़ा गया है।
बोर्ड के मुताबिक प्रमुख स्टेशनों में जिनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, सिकंदराबाद, बंगलोर, जयपुर व लखनऊ हैं। इन स्टेशनों पर तैनात सीनियर स्केल, जेए ग्रेड, एसए ग्रेड पर यह नियम प्रमुखता से लागू होगा। अगर रायशुमारी सहमति में तब्दील होती है तो कुछ इस तरह होगा कार्यकाल।
बोर्ड के मुताबिक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में कम से कम दो साल व अधिकतम पांच साल, आरडीएसओ [डीडी, जेडी, निदेशक, ईडी] अधिकतम पांच साल, संवेदनशील पद [टेंडर प्रक्रिया, वित्त, वाणिज्य से जुड़े व अन्य] पर चार साल, प्रमुख स्टेशन पर कार्यरत लेकिन जोन एलाट नहीं है तो दस साल और अगर एलाट है तो अधिकतम पंद्रह साल रह सकेंगे। इसी तरह आरडीएसओ में तैनात अधिकारी जो रिसर्च में है उनके लिए दस साल का कार्यकाल होगा न कि वेंडर व अन्य कार्य में लगे अधिकारियों के लिए है।