नेपाल को अपना बनाकर अब चीन को आइना दिखाने की कोशिश में है भारत
नेपाल के नए पीएम प्रचंड पहले विदेश दौरे पर चार दिन के लिए भारत आ रहे है। ऐसा माना जा रहा कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान आपसी रिश्तों में आयी खटास को दूर करने की कोशिश की जाएगी।
नई दिल्ली/काठमांडू। ऐसा माना जा रहा है भारत अपने पड़ोसी नेपाल के साथ आपसी खटास दूर करने और संबंधों पर जमीं बर्फ को हटाने के लिए गुरूवार से चार दिवसीय पहले विदेश दौरे पर आ रहे नेपाल के नए प्रधानमंत्री प्रचंड को कई पेशकश कर सकते हैं। इनमें पूर्व-पश्चिम रेलवे लाईन के निर्माण और अपने बंदरगाहों को इस्तेमाल करने की इजाजत देना है।
हाल के दिनों में नेपाल से संबधों में आई खटास और नेपाल में चीन के बढ़ते दखल को देखते हुए भारत का यह बड़ा कदम हो सकता है। विद्रोही माओवादी कमांडर रहे प्रचंड अपनी पहली विदेश यात्रा के तौर पर भारत को चुना है। नेपाल के पीएम प्रचंड भारत और नेपाल के बीच बढ़ती दूरी को पाटना चाहते हैं। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली को चीन समर्थक कहा जाता है। केपी ओली ने कुछ ऐसे व्यापार सौदे किए जिससे नेपाल की भारत पर निर्भरता कम हो सके।
अपने भारत दौरे से पहले नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा है कि, "भारत के साथ नेपाल के संबंध कुछ समय के लिए ठंडे पड़ गए थे। मै संबंधों में आई कड़वाहट को दूर करना चाहता हूं।" उन्होंने कहा कि भारत कठिनाइयों से घिरे नेपाल की मदद करना चाहता है।
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प्रचंड ने कहा कि, गुरुवार से शुरू हो रही चार दिन की यात्रा पर, दोनों देशों में पूर्वी नेपाल स्थित मेछी से नेपाल के पश्चिम में स्थित महाकाली तक रेलवे लाइन के विस्तार पर चर्चा होगी। नेपाल में रेलवे लाइन के इस विस्तार के लिए भारत नेपाल की मदद करेगा।
इस संबंध में रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि ये रेलवे परियोजना नेपाल के 1,030 किमी. हाईवे के समानांतर होगी। दोनों देशों के बीच इस परियोजना पर पहले ही चर्चा हुई थी अब परियोजना के वित्तीय मामलों पर चर्चा होगी।
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