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    ISRO Satellite Launch: इतिहास रचने के बाद अब होगी चीन से टक्कर क्योंकि...

    By Abhishek Pratap SinghEdited By:
    Updated: Wed, 15 Feb 2017 03:17 PM (IST)

    इसरो की कामयाबी का डंका पूरी दुनिया में बज गया। विश्व ने देख लिया कि भारत क्या कर सकता है। स्पेस कारोबार में भारत अब चीन को टक्कर देने के लिए तैयार है।

    ISRO Satellite Launch: इतिहास रचने के बाद अब होगी चीन से टक्कर क्योंकि...

    नई दिल्ली, जेएनएन। 15 फरवरी दिन बुधवार अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। भारत ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया है, ये रिकॉर्ड पहले रूस के पास था। दुनिया में भारत की धाक अब तेजी से बढ़ती जा रही है। अमेरिका और रूस जैसे देशों को भारत ने पीछे छोड़ दिया है अब टक्कर सीधे चीन से है ये जानने के लिए हमें चीजों को सिलसिलेवार समझना होगा।

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    चीन से भारत की टक्कर
    भारत को इस सस्ते बाजार में भी चीन से होड़ लेनी पड़ रही है, क्योंकि चीन भी सस्ते दर पर अंतरिक्ष में उपग्रहों को भेजने के लिए बड़ा बाजार है। ऐसे में भारत चीन को तभी मात दे पाएगा जब वह बड़े-बड़े सैटेलाइट लॉन्च करेगा।

    अंतरिक्ष के कार्मिशयल लांचर का जो बाजार है उसमें छोटे सैटेलाइट का हिस्सा बहुत कम है, बड़े सैटेलाइट को भेजने से ज्यादा पैसा आता है। यही नहीं चीन अपने सैटेलाइट लॉन्चिंग पर भारत से चार गुना ज्यादा पैसा खर्च करता है और उसके पास इसको लॉन्च करने की क्षमता भी चार गुना ज्यादा है।

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    फिलहाल की स्थिति देखी जाए तो भारत एक साल में 5 सैटेलाइट अभियान लॉन्च कर सकता है तो वहीं चीन 20 सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता रखता है। किसी जमाने में अमेरिका और रूस में ये होड़ मची होती थी लेकिन मौजूदा हालात को देखें तो भारत और चीन में होड़ मची हुई है।

    इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार ने इस पूरे अभियान पर होने वाले खर्च का ब्यौरा तो नहीं बताया लेकिन ये स्पष्ट किया कि मिशन का आधा खर्च विदेशी सैटेलाइटों को भेजने से आ रहा है। हालांकि अनुमान है कि इसरो को विदेशी सैटेलाइटों से 100 करोड़ रूपये से ज़्यादा की आमदनी होगी।

    पिछले कुछ सालों में भारत अंतरिक्ष प्रक्षेपण के बाजार में भरोसेमंद प्लेयर बनकर उभरा है। बीते कुछ सालों में भारत ने दुनिया के 21 देशों के 79 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है, जिसमें गूगल और एयरबस जैसी बड़ी कंपनियों के सैटेलाइट शामिल रहे हैं।

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    एक वरिष्ठ वैज्ञानिक पत्रकार का कहना है कि ये मजह विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं किया जा रहा है। बल्कि ये भारतीय अंतरिक्ष अभियान के साथ इसरो की कामर्शियल पहल भी है। एक साथ 104 सैटेलाइट्स को भेजने के बाद इस बाजार में भारत की जगह और मजबूत होगी।

    इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि अमेरिका की तुलना में भारत से किसी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने का खर्चा करीब 60-65 फीसदी कम होता है, मोटे तौर पर महज एक तिहाई खर्च में भारत किसी का सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज सकता है।

    जिन देशों के सैटेलाइट्स इसरो ने लॉन्च किए हैं, उसमें अमेरिका और इसराइली सैटेलाइट भी शामिल हैं। ये साफ इशारा है कि सैटेलाइट प्रक्षेपण के बाजार में भारत बड़ी तेजी से अपनी जगह बना रहा है लेकिन टक्कर चीन से है।

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