जो रूस-अमेरिका नहीं कर पाए, वो भारत ने आजादी के 15 साल बाद शुरू किया और एक नहीं, रचे कई इतिहास
इसरो ने 104 सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया है। इसरो की कामयाबी पर पूरे देश को गर्व है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत ने आजादी के 15 साल के अंदर ही अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करने के बाद लगातार तरक्की की और एकमात्र ऐसा प्रगतिशील देश बना जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में विकसित देशों के बीच जा खड़ा हुआ। कम्यूनिकेशंस के इस दौर में भारत की कहानी भारतीय स्पेस रिसर्च के बिना कामयाब नहीं हो सकती। और जब बात हो भारतीय स्पेस रिसर्च और उसकी उपलब्धियों की तो नाम इसरो का ही आता है।
बात इसरो की
यूं तो भारतीय स्पेस रिसर्च प्रोग्राम आजादी के तुरंत बाद ही शुरु हो गया था। लेकिन इसे गति मिली 1969 में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजशन की स्थापना के साथ। इसरो ने अंतरिक्ष यानि स्पेस की ओर तेजी से उड़ान भरते हुए 1975 में सोवियत संघ के लांच व्हीकल से अपना पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट स्पेस में भेजा। करीब पांच साल बाद 1980 में इसरो ने खुद अपना लांच व्हीकल बनाया और रोहिणी नाम के सैटेलाइट को लांच किया। रोहिणी के बाद इसरो ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और भारतीय स्पेस साइंटिस्ट्स ने स्पेस टेक्नोलॉजी के मामले में देश को ना सिर्फ अपने दम पर खड़ा किया बल्कि पूरे दुनिया में अपना लोहा मनवाया।
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सबसे कम वक्त और सबसे कम लागत में मंगलयान भेजकर इसरो ने जता दिया कि वो स्पेस टेक्नोलॉजी के मामले में दुनिया के किसी भी विकसित देश से कम नहीं है। 2014 में इसरो दुनिया की पहली स्पेस एजेंसी बन गई जिसने नौ महीने के रिकॉर्ड वक्त में और अपने पहले प्रयास में ही मंगलयान को मंगल के ऑर्बिट में भेजने में कामयाबी हासिल की।
इसरो ने 2014 में स्वदेशी तकनीक से क्रायोजेनिक इंजन बनाकर विकसित देशों पर अपनी निर्भरता पूरी तरह खत्म कर ली है। इसरो ने इसके पहले 2008 में चंद्रयान मिशन में भी कामयाबी हासिल की थी। 2008 में ही इसरो ने एक ही रॉकेट से 11 सैटेलाइट लांच करके इतिहास रचा। इनमें 9 सैटेलाइट दूसरे देशों के थे। इसरो के व्हीकल से सैटेलाइट लांच करने का खर्च दुनिया में सबसे सस्ता माना जाता है। यही वजह है कि कई देश अब अपने सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत का रुख करने लगे हैं।
इसरो अब तक कई देशों के सैटेलाइट्स लांच कर चुका है। कई देशों की स्पेस एजेंसियों और कई निजी और सरकारी एजेंसियां इसरो के साथ करार कर चुकी है। यानि देश के स्पेस प्रोग्राम को कामयाबी के साथ चलाने के साथ साथ देश के लिए पैसा कमाने में भी जुटा है।
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