हाईकोर्ट से हारे नीतीश पहुंचे राष्ट्रपति के द्वार
बिहार में छिड़ी राजनीतिक जंग और गहरा गई है। दल-बल के साथ दिल्ली पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को जहां राष्ट्रपति के दरवाजे तक गुहार ल ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बिहार में छिड़ी राजनीतिक जंग और गहरा गई है। दल-बल के साथ दिल्ली पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को जहां राष्ट्रपति के दरवाजे तक गुहार लगाते हुए विशेष सत्र बुलाने की मांग की, वहीं पटना हाईकोर्ट के फैसले ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को थोड़ी राहत दे दी।
हाईकोर्ट ने नीतीश को जदयू विधानमंडल दल के नए नेता के रूप में मान्यता देने को अवैध करार दिया है। अपने फैसले में उसने कहा है कि यह मामला अभी राज्यपाल के पास विचाराधीन है। जब तक राज्यपाल कोई फैसला सुना नहीं देते नीतीश कुमार को विधानमंडल दल के नए नेता के रूप में मान्यता देना बेमानी है। इस मामले में अब 18 फरवरी को सुनवाई होगी। इस बीच, आरोप प्रत्यारोप का दौर और गरमा गया है।
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने यह कहकर लड़ाई को और धार दे दी है कि दिल्ली में नीतीश के कब्जे में बंद कई विधायक भी उनके संपर्क में हैं। हालांकि भाजपा अपने भावी रणनीति को लेकर असमंजस में दिखाई दे रही है। वह परिस्थितियों को देखते हुए कोई फैसला लेगी।बुधवार को नीतीश जदयू अध्यक्ष शरद यादव, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। परिसर में समर्थक विधायक भी मौजूद थे।
बाहर आकर उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति से आग्रह किया गया है कि वह राज्यपाल को निर्देश दें और बिहार में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बहुमत साबित करने को कहें। भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाह रही है। उनका कहना था कि ज्यादा समय देने पर विधायकों की खरीद-फरोख्त हो सकती है। वह किसी भी वक्त अपने समर्थन में खड़े 130 विधायकों का परेड करा सकते हैं।
बजट सत्र का हवाला दिया
नीतीश ने बजट सत्र की तैयारियों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को कहा कि जल्द से जल्द बहुमत वाली सरकार बननी चाहिए ताकि सही तरीके से बजट भी पेश हो और राज्यपाल का अभिभाषण भी हो सके। लेकिन फिलहाल वहां ऐसे मुख्यमंत्री स्थापित हैं जिनके पास बहुमत नहीं है, लेकिन रोजाना नया नया फैसला लिया जा रहा है।
मौजूद नहीं थे 130 विधायक
यह और बात है कि बुधवार की शाम राष्ट्रपति भवन के परिसर में बैठे विधायकों में सभी 130 विधायक मौजूद नहीं थे। उन्हें राष्ट्रपति से मिलने की अनुमति भी नहीं थी।विधायक रहेंगे ग्रेटर नोएडा में जदयू सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट से आए फैसले के बाद दिनभर चली जनता परिवार नेताओं की बैठकों में इस लड़ाई को बरकरार रखने का फैसला किया गया है।
संभव है कि जबतक विधानसभा में बहुमत साबित करने की तिथि घोषित नहीं होती है, विधायकों को पटना से दूर ग्रेटर नोएडा के ही होटल में रखा जाए। भाजपा ने उठाए सवालदूसरी तरफ भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने नीतीश पर सत्ता लोलुपता का आरोप लगाते हुए कहा कि 20 फरवरी को सदन की बैठक बुलाई गई है। वहीं वस्तुस्थिति तय हो जाएगी। फिर नीतीश क्यों परेशान हो रहे हैं। बिहार की जनता ने भाजपा-जदयू की सरकार को मतदान किया था।
अब नीतीश उस लालू यादव के साथ गलबाही कर रहे हैं जिनके खिलाफ चुनाव लड़कर आए थे। लेकिन नीतीश किसी भी प्रकार से सत्ता चाहते हैं और इसीलिए महादलित नेता को अपमानित किया जा रहा है।समर्थक जुटाने पर ही मांझी को समर्थन सूत्रों की मानी जाए तो अगर स्थिति बनी और मांझी अपने साथ तीन दर्जन तक विधायकों को जोड़ने में सफल रहे कि विश्वास मत के दौरान उन्हें समर्थन किया जा सकता है।
हालांकि इस बात पर पूरी सहमति नहीं है। दरअसल, यह डर सता रहा है कि चुनाव के वक्त अगर मांझी भाजपा के साथ खड़े हुए तो उनके सभी लोगों का ध्यान रखना मुश्किल होगा। भाजपा बदल रही राजनीतिक स्थिति पर नजर रख रही है और उसी अनुसार फैसला लिया जाएगा।
राज्यपाल लेंगे विधिसम्मत फैसला
हालांकि यह लगभग तय है कि संवैधानिक मामलों में भाजपा कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पहले ही विधि के अनुसार फैसला करने का सुझाव दिया है। अब जबकि राष्ट्रपति तक यह लड़ाई पहुंच गई है तो माना जा रहा है कि जल्द कोई फैसला हो सकता है।
उलझन में कांग्रेसी विधायक
बिहार कांग्रेस विधायक सत्ता और संसद के बीच फंस गए हैं। लम्बे समय से सत्ता से बाहर चल रही पार्टी के विधायक किसी भी सूरत में सत्ता चाह रहे हैं। महज आठ महीने बची सरकार में मंत्री बन वापसी की राह मजबूत करना चाह रहे विधायकों की इच्छा पर अनुशासन हावी हो गया।
सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान के निर्देश पर दिल्ली आए कांग्रेसी विधायकों को माझी सरकार में मंत्री पद मिल रहा था। लेकिन संसद में पार्टी आलाकमान एकीकृत जनता परिवार के साथ मोदी को घेरना चाह रहा है।
ऐसे में इन विधायकों की इच्छा को नजरअंदाज कर नीतीश के साथ खड़े रहने की हिदायत दी है। हालांकि, संकेत हैं कि राज्य में अभी तक सरकार से बाहर खड़ी कांग्रेस नीतीश की वापसी की सूरत में सत्ता में शामिल हो सकती है।

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